भोपाल, । एमबीबीएस करने के बाद एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा के लिए चिकित्सकों की पदस्थापना को लेकर स्वास्थ्य संचालनालय ने बड़ा बदलाव किया है। पदस्थापना के पहले कैंप आयोजित कर उनसे पांच विकल्प लिए जाएंगे। इसके बाद उनकी प्राथमिकता और स्वास्थ्य सेवा के लिए उनकी जरूरत के अनुसार पदस्थापना की जाएगी। कैंप हर सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय में तीन दिन के लिए आयोजित किया जाएगा।
स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। अभी तक पदस्थापना के लिए चिकित्सा शिक्षा संचालनालय से सूची स्वास्थ्य विभाग को मिलती थी। इसमें डाक्टरों का अस्थाई और निवास का पता लिखा रहता है।
निवास के पते के नजदीक उनकी पदस्थापना की जाती है। कई डॉक्टर निवास के पते के नजदीक वाले अस्पताल की जगह दूसरे अस्पताल में पदस्थापना चाहते हैं। इसके लिए वह स्वास्थ्य संचालनालय में आवेदन करते हैं। इस प्रक्रिया से पदस्थापना में देरी होती है। लिहाजा अब मेडिकल कॉलेजों में कैंप आयोजित कर डाक्टरों से विकल्प लेने की व्यवस्था की गई है। हर चिकित्सा महाविद्यालय की जिम्मेदारी होगी कि वह अपने से यहां से एमबीबीएस पास करने वाले डाक्टरों के लिए कैंप आयोजित करे। इसमें स्वास्थ्य विभाग के संभागीय संयुक्त संचालक भी मौजूद रहेंगे।
पदस्थापना के बाद संशोधन के लिए ढेरों आवेदन आने के चलते स्वास्थ्य आयुक्त ने की व्यवस्था
डॉक्टरों को कैंप की सूचना देने का काम संबंधित कॉलेज के अधिष्ठाता का होगा। बता दें कि हर साल 31 मार्च को इंटर्नशिप पूरी करने के बाद डॉक्टरों की पदस्थापना के आदेश जारी किए जाते हैं। अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र के तहत एमबीबीएस पूरा करने के बाद एक साल तक उन्हें शासन द्वारा तय अस्पताल में सेवाएं देनी होती हैं। अभी करीब 800 डाक्टर हर साल निकल रहे हैं। सेवाएं नहीं देने पर मप्र मेडिकल काउंसिल से पंजीयन निरस्त करने का प्रविधान है।