जमशेदपुर21 फरवरी
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और जे के शैक्षणिक संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में आज ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में हमारे साथ डाॅ रागिनी भूषण जी, मंत्री संगठन संस्कार भारती , उपाध्यक्ष क्रीड़ा भारती, उपाध्यक्ष समर्पण निधि समिति , जुड़ी हुई थी। कार्यक्रम का आरंभ छात्रा संचिता हांसदा के द्वारा संताली भाषा में गाए गये स्वागत गीत से किया गया । उसके पश्चात स्वागत भाषण देते हुए डॉक्टर कल्याणी कबीर ने कहा कि आज अत्यंत जरूरी है कि आज की नई पीढ़ी को मातृभाषा के प्रति संवेदनशील बनाया जाए । विषय प्रवेश कराते हुए डॉ कविता परमार, विभाग संयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने कहा कि जरूरी है कि हमारी मातृभाषा के प्रति हमारा सम्मान बना रहे क्योंकि इसी से हमारी पहचान है। तकनीकी शिक्षा केंद्रीय समिति और उन्नत भारत अभियान के संयोजक डाॅ रंजीत प्रसाद जी ने कहा कि हम सबों की महती जिम्मेदारी है कि हम नयी पीढ़ी को मातृभाषा के प्रयोग के प्रति जागरूक करें। व्याख्याता डाॅ मौसमी महतो ने कुरमाली भाषा का प्रयोग करते हुए व्यक्तित्व के निर्माण में मातृभाषा की भूमिका पर बात किया।
प्रोफेसर रंजना आनंद ने मातृभाषा के ज्ञान को समृद्ध करने में माता की भूमिका पर बात किया। अतिथि वक्ता के तौर पर जुड़ी डॉ अनीता शर्मा , साहित्यकार, शिक्षाविद ने कहा कि मातृभाषा ही हमारा सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान करती है।नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षण में त्रिभाषा सूत्र से मातृभाषा पर जोर दिया गया है जो एक सकारात्मक पहल है।संताली भाषा के व्याख्याता प्रोफेसर सुशीला ने भी संताली में अपने बातों को व्यक्त किया और कहा कि सभ्यता, संस्कृति और हमारी अस्मिता हमारी पहचान बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी मातृभाषा को समृद्ध करें। छात्रा राखी कुमारी ने बांग्ला भाषा में एक कविता प्रस्तुत किया । छात्रा फुलोरमा ने बांग्ला भाषा में सुंदर नृत्य गीत की प्रस्तुति दी । मुख्य अतिथि और वक्ता के तौर पर जुड़ी आदरणीय डॉक्टर रागिनी भूषण ने कहा कि भाषा प्रेम की वस्तु है और यह हमारी पहचान को सुरक्षित रखती है, जरूरी है कि हम भाषा का राजनीतिकरण नहीं करें क्योंकि भाषा की समृद्धि से ही देश की समृद्धि निर्भर करती है ।हर व्यक्ति का दायित्व है कि वह मातृभाषा में विषय की पुस्तकों की रचना करें, ताकि शैक्षणिक प्रणाली भी सुदृढ़ हो धन्यवाद ज्ञापन जे के शैक्षणिक संस्थान की व्याख्याता डॉ पूनम कुमारी ने दिया। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर विजयकांत दास, क्षेत्र संयोजक, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, सदस्य, बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग,
अमरकांत झा, संयोजक झारखंड प्रदेश, विजय कुमार सिंह, सहसंयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास सह रजिस्ट्रार सरला बिरला विश्वविद्यालय भी जुड़े हुए थे।