भारत में जीएसटी लागू होने के 4 वर्षों की अंतराल में, जीएसटी कर प्रणाली एक सबसे जटिल कराधान प्रणाली के रूप में उभरी है और वास्तव में अब इसे “घनो सारो मुकदमेबाजी कर” के रूप में कहा जा रहा है,जो कि देश में एक बेहतर और सरल कर के जरिये व्यापार को सुचारू रूप से चलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना के बिलकुल विपरीत एवं जटिल है। चार वर्षों में जीएसटी नियमों में अब तक किए गए लगभग 950 संशोधन स्वयं बया कर रहे हैं कि जीएसटी परिषद भी प्रणाली की स्थिरता के बारे में आश्वस्त नहीं है, लेकिन यह व्यापारियों से उम्मीद करता है कि वे जीएसटी के प्रावधानों का निर्बाध तरीके से अनुपालन करें अन्यथा जीएसटी रेजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है, इनपुट क्रेडिट से हाथ धोना पड़ सकता है, और दंड भी भुगतना पड़ सकता है। ऐसी निराशाजनक पृष्ठभूमि में, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 26 फरवरी को भारत व्यापार बंद का आह्वान किया है, जिसे देश के व्व्यापारी एवं अन्य संगठनों का मज़बूत एवं खुला समर्थन मिल रहा है। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्निर्मला सीतारमण एवं ज़ीएसटी काउन्सिल से माँग की है की जीएसटी की समग्र समीक्षा कर इसे सरल और युक्तिसंगत कर प्रणाली बनाया जाए।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थलिया ने आज कहा कि जीएसटी परिषद हमेशा यह दावा करती है कि जीएसटी एक सरलीकृत कराधान प्रणाली है। यदि वास्तव में ऐसा है, तो हम सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को आमंत्रित करते है जो कि जीएसटी परिषद के सदस्य हैं, हैं वो किसी भी सार्वजनिक मंच पर किसी बाहरी मदद के जीएसटी रिटर्न फॉर्म भर कर दिखाएँ , इससे जीएसटी कर प्रणाली का सरलीकरण एवं की जटिलताओं के बारे में सच्चाई अपने आप सामने आजायेगी ”। हमें यकीन है कि जैसे ही खुद वे प्रैक्टिकली ये फॉर्म भरेंगे, उन्हें जीएसटी की जटिलता का एहसास होगा। ऐसे परिदृश्य के तहत, वे व्यापारियों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे सही रिटर्न भरें और निर्धारित समय के भीतर सभी अनुपालन करें। जीएसटी नियमों में किए गए हाल के विभिन्न प्रावधान कठोर, मनमाने हैं और अधिकारियों को तमाम अधिकार दिए गए हैं, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, कारण बताओ नोटिस जारी करने से इनकार करना या कार्रवाई करने से पहले सुनवाई का अवसर न देना, देश के व्यापारियों को परेशान करने का नया तरीका है। यह अचरज की बात है कि पीएम मोदी के शासन में, जो स्वयं देश में छोटे व्यवसाय के विकास के लिए कार्यत हैं, कैसे उन्होंने ऐसे निवारक और अनुचित प्रावधानों को जो प्रतिगामी साबित होगा जीएसटी नियमों में शामिल होने दिया ।
दुनिया भर के मुकाबले भारत में जीएसटी के न केवल कई टैक्स स्लैब वाले उच्चतम कर की दरें हैं बल्कि जीएसटी पोर्टल में कई तरह की गड़बड़ियों के साथ साथ, गैर भरोसेमंद इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी खामियां है, जिस कारण अनुपालन बोझ में निरंतर वृद्धि हो रही हैं। इनपुट क्रेडिट का दावा करने का मौलिक अधिकार समय की सीमा तक सीमित नहीं किया जा सकता है ।सुसंगत नीति रोलबैक, संशोधन, और जीएसटीएन नेटवर्क में गड़बड़ी, ने बड़े पैमाने पर कर चोरी को बढ़ावा दिया है। हालांकि, हम जीएसटी परिषद और कर विभाग के साथ खड़े हैं ताकि कर चोरी करने वालों और जाली बिलों में लिप्त लोगों के लिए एक अभियान शुरू किया जा सके। हमारा विचार है कि कड़ी कार्रवाई और अनुकरणीय सजा ऐसे लोगों के लिए निर्धारित की जानी चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी शक्तियों के आधार पर, ईमानदार व्यापारियों को किसी भी उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़े। क्योंकि, यह देखा गया है कि , बिलिंग घोटाले के लिए काफी कम लोग पकड़े गए हैं, लेकिन साथ ही कई मामले ऐसे भी हैं, जिनमें छोटे व्यापारी पीड़ित हुए हैं।
श्री सोन्थालिया ने कहा कि जीएसटी का वर्तमान कर आधार पर राजस्व की प्राप्ति करना बेहद मुश्किल है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कर राजस्व और अधिक राजस्व के सृजन को व्यापक बनाने की व्यापक गुंजाइश है लेकिन इसके लिए जीएसटी के सरलीकरण और आसान अनुपालन की आवश्यकता है। हमारा विचार है कि जीएसटी सबसे बेहतर कराधान प्रणाली है, लेकिन इसके लिए इसकी बुनियादी ढांचे में विकृतियों और असमानताओं को हटाना होगा, जिससे सरकार और व्यापारी समुदाय के बीच विश्वास की कमी उत्पन्न हो रही है। कर स्लैब को भ्रमित करना, विभिन्न कर के तहत माल की गलत नियुक्ति, जीएसटी में जटिलताओं के प्रमुख कारण हैं। भारत में जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए कैट सबसे आगे था और देश भर में समान भावना वाले व्यापार संघ सरकार के साथ काम करने के लिए तैयार हैं ताकि कर आधार और राजस्व सृजन को व्यापक बनाया जा सके लेकिन यह तभी हो सकता है जब व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाया जाए। “त्रुटि” और “चोरी” के बीच अंतर करना होगा। आदतन अपराधियों और इच्छाधारी बकाएदारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए लेकिन साथ ही ईमानदार और कानून का पालन करने वाले लोगों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
कैट ने 26 फरवरी के भारत व्यापार बंद के लिए होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया की 20 फरवरी तक देश भर में व्यापार संघ, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, प्रमुख सचिव, वित्त, जीएसटी आयुक्त और सभी जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे। 22 फरवरी को देश भर के बाजारों में “ट्रेडर्स मार्च” निकाला जाएगा, 21 फरवरी से 25 फरवरी तक भारत व्यापर बंद के बारे में सभी बाजारों में मुनादी होगी , 25 फरवरी को एक “खुली प्रतियोगिता- जीएसटी रिटर्न फॉर्म भरना ” आयोजित होगी ।” 26 फरवरी को देश भर के सभी वा बाजार बंद रहेंगे और सभी राज्यों के अलग-अलग शहरों में “विरोध धरना” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जीएसटी कौंसिल को जीएसटी के कठोर प्रावधानों को समाप्त करने की मांग की जाएगी। जीएसटी कर प्रणाली की पुन : समीक्षा ,जीएसटी टैक्स स्लैब की समीक्षा और जीएसटी को एक सरलीकृत और युक्तिसंगत कर प्रणाली बनाया जाए जिसमें एक साधारण व्यापारी भी आसानी से जीएसटी के प्रावधानों का पालन कर सके। “स्वैच्छिक अनुपालन” एक सफल जीएसटी शासन की कुंजी है