Ranchi,15 फरवरी . मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के मामले में सोमवार को यूजीसी की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया गया। इसके माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2017 के रेगुलेशन में ऑफ कैंपस (दूसरे राज्य में) कॉलेज खोलने को लेकर कोई विशेष प्रविधान नहीं है। लेकिन इस मामले को लेकर यूजीसी की बैठक की जा रही है और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। अदालत में सभी पक्षों की ओर से इस मामले में जवाब दाखिल कर दिया गया है। हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में चल रही इस सुनवाई की अगली तिथि 22 फरवरी मुकर्रर की गई है। सुनवाई के दौरान नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) की अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि वर्ष 2019 के रेगुलेशन के तहत मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज ने जमशेदपुर में ऑफ कैंपस खोलने के लिए आवेदन दिया था। इस दौरान कॉलेज ने कई आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं किया। इसलिए इस कॉलेज में नामांकन पर रोक लगा दी गई।
जबकि मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव का कहना है कि मणिपाल विश्वविद्यालय को उत्कृष्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी ( University of imminence)का दर्जा मिल गया है। ऐसे में उन पर UGC की गाइडलाइन लागू नहीं होती है। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपाल टाटा कॉलेज को अंतरिम राहत देते हुए नामांकन की छूट प्रदान की है और इस मामले को हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया। इसके बाद से हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। कॉलेज में प्रथम वर्ष इस सत्र में काफी जद्दोजहद के बाद नामांकन शुरू हुआ । झारखंड ही नहीं,पूर्वी भारत के गौरव के रूप में यह संस्थान निजी क्षेत्र में प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप स्थापित हुआ है , लेकिन केन्द्र के मानव संस्थान विभाग ने लकीर का फ़क़ीर बन नामांकन को लाल फीताशाही में उलझाने के हर प्रयास से मोरव्वत नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप नही किया होता तो मैट्रिक्स सिस्टम से कॉलेज को बाहर कर दिया गया था।