देश की अर्थव्यवस्था के पहिये को सशक्त करने में प्रवासी श्रमिकों का बड़ा योगदान रहता है। लेकिन आज इनका भविष्य अंधकार में है। प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा ठोस नीति बनाये जाने की आवश्यकता है। इनके कल्याण को बड़े विषय के रूप में देखना चाहिए। क्योंकि श्रमिक लगातार छले और ठगे जा रहें हैं। ये बातें मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन द इंडियन एक्सप्रेस और ओमिड्यार वेबिनार के संयुक्त तत्वावधान में Decoding India’s internal migration विषय पर आयोजित वेबिनार में कहा।
श्रमिकों की बेहतरी के कार्य हो इसका प्रयास जारी
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड खनिज प्रधान राज्य है। यहां के खनन प्रभावित क्षेत्रों में पलायन की अधिक समस्या है। क्योंकि वहां की भूमि खेती के योग्य नहीं रहती। ऐसे में मजबूरन श्रमिकों को बाहर निकलना पड़ता है। राज्य के श्रमिकों की बेहतरी के लिए प्रयासरत हूं। आगामी बजट में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। यह कार्य ग्रामीण क्षेत्र को केंद्रित कर होगा, जिससे पलायन की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सके।
संक्रमण काल में जिम्मेदारी का निर्वहन हुआ
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में प्रवासी श्रमिकों को सड़कों पर छोड़ दिया गया। लेकिन राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। राज्य के श्रमिक की मौत उत्तराखंड में आई आपदा के दौरान हुई। यह दुःखद है। राज्य सरकार ने आपदा में फंसे श्रमिकों के लिए टॉल फ्री नंबर जारी कर मदद करने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ही एक स्थानीय अखबार में तमिलनाडु में श्रमिकों को बंधक बनाये जाने की बात सामने आई है। श्रमिकों का संगठित तरीके से शोषण किया जा रहा है।
श्रमिकों के साथ अनदेखी हुई
राज्य सरकार द्वारा बीआरओ के साथ एक समझौता के तहत राज्य के श्रमिकों को देश के सीमावर्ती क्षेत्र में सड़क निर्माण हेतु भेजा गया। पूर्व में श्रमिकों को कार्य के एवज में कम पारिश्रमिक मिलता था। राज्य सरकार द्वारा उनके लिए उचित पारिश्रमिक व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य किया गया।