, नई दिल्ली
राज्यसभा में रक्षा मंत्री ने कहा, ” भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाडि़यों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा दबदबा बना हुआ है। हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं।”
भारतीय सेनाओं ने डट कर किया सामना : राजनाथ
रक्षा मंत्री ने कहा, पिछले वर्ष मैंने इस सदन को अवगत कराया था कि एलएसी के आस-पास पूर्वी लद्दाख में कई क्षेत्रों में तनावपूर्ण स्थिति बन गई है। हमारे सशस्त्र सेनाओं द्वारा भी भारत की सुरक्षा की दृष्टि पर्याप्त तथा effective counter deployment किए गए हैं। राजनाथ सिंह ने कहा, मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पेगोंग त्सो के दक्षिण एवं उत्तरी किनारे पर दिया है।
शांति बनाए रखने पर दिया जोर : राजनाथ
पूर्वी लद्दाख में वर्तमान स्थिति पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हम नियंत्रण रेखा ( एलएसी) पर शांतिपूर्ण स्थिति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत ने हमेशा द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने पर जोर दिया है। रक्षा मंत्री ने कहा, एलएसी पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारी द्विपक्षीय संबंध पर बुरा असर पड़ता है। कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयान में भी यह जिक्र किया गया है कि एलएसी तथा सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
चीन सीमा विवाद पर रक्षा मंत्री सदन में दे रहे जानकारी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राज्यसभा में चीन सीमा विवाद और पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति पर जानकारी दे रहे हैं।राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले साल चीन की ओर से एलएसी पर घुसपैठ की कोशिशें की गईं थीं। पिछले साल गलवां घाटी में देश के वीर जवानों ने देश की रक्षा के लिए बलिदान दिया। भारत चीन के साथ बातचीत के जरिये तनाव कम करने पर काम कर रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा, मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं। साथ-साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है।
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