Desk. Chamakta aina ,February 10.अमेरिका ने भारत की तारीफ में जो बातें कही हैं, उसे सुनकर चीन को एक बार फिर से मिर्ची लगना तय है। अमेरिका ने न सिर्फ भारत को हिंदी-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रमुख सहयोगी बताया है, बल्कि यह भी माना है कि दुनिया की प्रमुख शक्ति के रूप में भारत का उदय हो रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत को अपना सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी बताया और कहा कि वह भारत के विश्व की एक प्रमुख शक्ति के रूप में उदय और क्षेत्र के एक प्रहरी के रूप में उसकी भूमिका का स्वागत करता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘भारत, हिंद- प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का एक अहम साझेदार है। हम भारत के विश्व की एक प्रमुख शक्ति के रूप में उदय और क्षेत्र के एक प्रहरी के रूप में उसकी भूमिका का स्वागत करते हैं।’ इससे पहले, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत की थी और दोनों नेताओं ने म्यांमा के हालात पर तथा साझा चिंताओं वाले अन्य मुद्दों पर चर्चा की।
ब्लिंकन ने म्यांमा में सैन्य तख्तापलट पर चिंता जताई और कानून के शासन तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया के महत्व पर भी चर्चा की। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अमेरिका के सहयोग के महत्व सहित क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श किया। प्राइस ने कहा, ‘दोनों पक्षों ने ‘क्वाड के जरिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने तथा कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने की उम्मीद जताई।’ प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका और भारत की ‘समग्र वैश्विक रणनीतिक साझेदारी व्यापक होने के साथ-साथ बहुआयामी भी है।
अमेरिका का भारत के संदर्भ में यह टिप्पणी इसलिए भी अहम है, क्योंकि दक्षिण चीन सागर में चीन अपनी दादागिरी दिखाता रहा है। हिंद- प्रशांत क्षेत्र में चीन की इसी दादागिरी को खत्म करने के लिए अमेरिका भारत को अपना अहम साझेदार मान रहा है। यही वजह है कि चीन क्वाड को लेकर कितना भी असहज हो, लेकिन अमेरिका का नया नेतृत्व इस मोर्चेबंदी को आगे बढ़ाने के पक्ष में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई बातचीत के बाद जल्द ही क्वाड की बैठक को लेकर भी संभावना जताई जा रही है। बातचीत पर अमेरिका की ओर से जारी बयान में क्वाड का खास जिक्र किया गया है।
भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान का चार देशों का समूह दक्षिण चीन सागर व हिंद प्रशांत छेत्र में नियम आधारित व्यवस्था की वकालत करता रहा है। चीन इसे अपने खिलाफ मोर्चे के रूप में देखता है। पिछले दिनों रूस ने भी इस गठजोड़ को लेकर सवाल उठाए थे। हालांकि, भारत स्पष्ट कहता रहा है कि क्वाड को किसी देश के खिलाफ मोर्चेबंदी के रूप में नहीं देखना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की चार बड़ी लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करना चाहते हैं। अमेरिका क्वॉड के आधार पर अपनी इंडो-पैसिफिक नीति निर्धारित करना चाहता है। सूत्रों का कहना है कि ऑनलाइन मीटिंग जल्द हो सकती है।