राज्यसभा में PM का जवाब:किसानों के मुद्दे पर मोदी बोले- गालियां मेरे खाते में जाने दो, आन्दोलनजीवी परजीवियों से हों सावधान!!

New Delhi.

प्रधानमंत्री Narendra Modi ने कहा कि राष्ट्रपति के भाषण की ताकत इतनी थी, कई लोग न सुनने के बावजूद बहुत कुछ बोल गए। इससे भाषण का मूल्य आंका जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। 77 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री सधे अंदाज में नजर आए। प्रमुख रूप से किसान आंदोलन, बंगाल और कृषि कानून पर बात रखी। संसद से किसानों को आंदोलन खत्म करने की अपील की। कानूनों में बदलाव का रास्ता भी सुझाया। वहीं, विपक्ष के हमले को लेकर कहा कि गालियां मेरे खाते में जाने दो। अच्छा आपके खाते में, बुरा मेरे खाते में। आओ मिलकर अच्छा करें। उन्होंने चुटकी ली – आजकल आंदोलनजीवी बहुत हो गए हैं जो परजीवी है। इनसे देश को सावधान रहने की जरूरत है।

मोदी के भाषण की मुख्य बातें

किसान संगठनों से अपील- आंदोलन खत्म कर मिलकर चर्चा करते हैं
उन्होंने कहा कि आंदोलन करने वाले लोगों से अपील है कि वहां बूढ़े लोग भी बैठे हैं, आंदोलन खत्म करें, मिलकर चर्चा करते हैं। खेती को खुशहाल बनाने के लिए ये समय है, जिसे गंवाना नहीं है। पक्ष-विपक्ष हो, इन सुधारों को हमें मौका देना चाहिए। ये भी देखना होगा कि इनसे ये लाभ होता है या नहीं। मंडियां ज्यादा आधुनिक हों। MSP था, है और रहेगा।

उन्होंने कहा कि सदन की पवित्रता को समझें। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन मिलता है, वो जारी रहेगा। आबादी बढ़ रही है, जमीन के टुकड़े छोटे हो रहे हैं, हमें कुछ ऐसा करना होगा कि किसानी पर बोझ कम हों और किसान परिवार के लिए रोजगार के अवसर बढ़ें। हम अगर देर कर देंगे। हम अपने ही राजनीतिक समीकरणों के फंसे रहेंगे तो कुछ नहीं हो पाएगा।

राष्ट्रपति का उद्बोधन आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला : मोदी
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया चुनौतियों से जूझ रही है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इन सबसे गुजरना होगा। इस दशक के प्रारंभ में ही हमारे राष्ट्रपति ने संयुक्त सदन में जो उद्बोधन दिया, जो नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला था। यह उद्बोधन आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला था।

उन्होंने कहा कि राज्यसभा में करीब-करीब 13-14 घंटे तक सांसदों ने अपने बहुमूल्य और कई पहलुओं पर विचार रखे। सबका आभार व्यक्त करता हूं। अच्छा होता कि राष्ट्रपति का भाषण सुनने के लिए भी सभी लोग होते, तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती। राष्ट्रपति के भाषण की ताकत इतनी थी, कई लोग न सुनने के बावजूद बहुत लोग बोल पाए। इससे भाषण का मूल्य आंका जा सकता है।

कविता के जरिए विपक्ष पर निशाना
उन्होंने कहा कि हम सबके लिए ये भी एक अवसर है कि आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। यह पर्व कुछ कर गुजरने का होना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि आजादी के 100वें साल यानी 2047 में हम कहां होंगे। आज दुनिया की निगाह हम पर है। जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता कहना चाहूंगा- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है। तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल।

उन्होंने कहा कि मैं सोच रहा था, 21वीं सदी में वो क्या लिखते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़।

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