पद्मश्री के लिये नामित छुटनी महतो ने कहा और जोश से करेंगी काम
जमशेदपुर : डायन प्रथा के विरोध में काम करनेवाली तथा पद्मश्री के लिये नामित छुटनी महतो ने कहा कि जिस आरोप में कभी वे अपने ससुराल से निकाली गई थीं और उन्हें एक-दो नहीं वरन आठ माह पेड़ के नीचे गुजारा करना पड़ा था, उसी को उन्होंने अपना हथियार बनाया और सैकड़ों महिलाओं को ससम्मान घर वापसी कराया. वे आज सोनारी आदर्श सेवा संस्थान में अपने सम्मान समारोह में भावुक होते हुए उक्त बातें कही. ज्ञात हो कि डायन प्रथा के विरोध में छुटनी ने न सिर्फ अपनी आवाज बुलंद की, बल्कि महिलाओं को इस कोपभाजन का शिकार होने से भी बचाया. गतदिनों सरकार ने उन्हें पद्मश्री देने का ऐलान किया.
छुटनी ने कहा कि सम्मान की घोषणा सुनकर वे काफी खुश हैं. भले ही उनकी उम्र 62 वर्ष हो गये हैं, लेकिन इस सम्मान के बाद उनकी जिम्मेवारी और बढ़ गई है और पहले से भी अधिक जोश के साथ कार्य करना होगा. उनके साथ जो कुछ भी हुआ था, उसे वे भुलाना चाहती हैं तथा उसे एक किनारे रखकर वे अन्य पीडि़त महिलाओं के लिये समाज में कार्य करना चाहती है. वैसे इस कार्य में उन्हें फ्री लीगल एड कमिटी सहित अधिवक्ता स्व. जीएन जायसवाल, प्रेमचंद आदि का काफी सहयोग मिला.
पीएम मोदी कीहुईं मुरीद
बातचीत के दौरान छुटनी महतो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली की कायल दिखीं. उन्होंने कहा कि पीएम की नजर एक चींटी पर भी है, तभी तो उन जैसे एक साधारण इंसान को पद्मश्री के लिये नामित कर रातोंरात झारखंड के लिये खुशी दे दी. उन्होंने कहा कि जब इस पुरस्कार के लिये उन्हें पहला फोन आया तो वे बस से सरायकेला से जमशेदपुर आ रही थीं. उन्होंने फोन करनेवाले से कहा कि एक घंटे बाद फोन करें. उन्होंने दोबारा फोन किया और तब उन्हें इस बात की जानकारी मिली.
सरकार से उचित मदद नहीं मिलने का मलाल
छुटनी ने कहा कि सरकार भले ही कानून बना दी है, लेकिन इसे पालन करानेवाले आज भी उन्हें इन मामलों में सहयोग नहीं करते. अभी हाल की ही बात है कि सरायकेला की एक महिला उसके ससुरालवाले परेशान कर रहे थे. उक्त महिला के थाना जाने पर मामला दर्ज तक करने में आनाकानी करने लगे. दूसरे दिन उनके प्रयास से काफी मुश्किल से मामला दर्ज हो पाया.