सरना धर्मकोड शामिल करने की मांग पर आदिवासी सेंगेल अभियान ने रेलवे ट्रैक तथा एनएच को किया जाम

चांडिल । गत 18 जनवरी को चांडिल के गांगुडीह में आदिवासी सेंगेल अभियान के सरना धर्म सभा का आयोजन हुआ था। जहां आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने घोषणा किया था कि 31 दिसंबर तक केंद्र सरकार द्वारा सरना धर्मकोड को मान्यता नहीं दिए जाने अथवा वार्ता के लिए नहीं बुलाने पर झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, असम समेत देश के आदिवासी बहुल राज्यों में रेल चक्का जाम कर देंगे। पूर्व आहूत कार्यक्रम के तहत रविवार को ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों से हजारों कार्यकर्ताओं का जुटान हुआ था। कार्यकर्ताओं ने चांडिल रेलवे स्टेशन में रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया। यहां कार्यकर्ता ढोल नगाड़ा, मांदर एवं बैनर के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। इसमें काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल थी। एतिहातन रेल चक्का जाम कार्यक्रम को लेकर चांडिल रेलवे स्टेशन पुलिस छावनी में तब्दील थी। चांडिल स्टेशन मैनेजर विष्णु तांती, आरपीएफ ओसी कुमार राजीव समेत काफी संख्या में आरपीएफ व स्थानीय पुलिस मौजूद रहीं। रेल चक्का जाम के कारण चांडिल स्टेशन पर एक मालगाड़ी काफी देर तक रुकी रही। यहां अभियान के कार्यकर्ताओं ने दोपहर 12 से लेकर एक बजे तक रेलवे ट्रैक को जाम रखा। जिसके बाद रेलवे के अधिकारियों ने समझा बुझाकर जाम हटवाया।
एनएच 32 तथा 33 को किया जाम :
लोकेशन: चांडिल स्टेशन रेलवे ट्रैक से हटने के बाद सेंगेल अभियान के कार्यकर्ता चांडिल गोलचक्कर पहुंचे एनएच 32 तथा एनएच 33 को करीब आधे घंटे तक जाम कर दिया। चांडिल स्टेशन से गोलचक्कर तक के हजारों लोग जुलूस की शक्ल में पहुंचे। इस दौरान जमकर नारेबाजी भी हुई। यहां जाम के कारण एनएच 32 तथा 33 पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। इससे आवागमन बाधित हो गई। यहां पर भी आहूत बंद को लेकर काफी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। दोनों एनएच जाम होने की सूचना पर चांडिल थाना प्रभारी सनोज कुमार चौधरी गोलचक्कर पहुंचे तथा कार्यकर्ताओं से बातचीत कर जाम हटवाया। जिसके बाद एनएच 32 एवं एनएच 33 पर आवागमन सामान्य हो सकी। इस दौरान आदिवासी सेंगेल अभियान के चांडिल कमांडर देवनाथ हेम्ब्रम ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के आह्वान पर आदिवासी समुदाय रेलवे ट्रैक व सड़क जाम में उतरे थे। उन्होंने कहा कि जबतक सरकार की ओर से आदिवासियों के लिए जनगणना में सरना धर्मकोड को मान्यता नहीं दी जाएगी आंदोलन जारी रहेगा।

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