पञ्चतंत्र किताब का संथाली में अनुवाद : ‘मोंड़े मान्तार ‘

अब पञ्चतंत्र की सभी कहानियाँ संताली में होंगी उपलब

चांडिल: संस्कृत की विश्वविख्यात नीति कथा-कृति पंचतंत्रम् अब संताली में भी उपलब्ध होगी। सिंहभूम कॉलेज चांडिल के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर डॉ0 सुनील मुर्मू ने इसे संस्कृत से संताली भाषा में अनुवाद किया है।बृहस्पतिवार को उन्होंने पंचतंत्रम् की संताली पाण्डुलिपि साहित्य अकादमी के क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता को भेज दिया है। इन्होंने संताली संस्करण का नाम ‘मोंड़े मान्तार ‘ रखा है। इसमें उन्होंने पंचतंत्रम् के सभी 75 कहानियों के साथ साथ 1100 श्लोकों का अनुवाद किया है। इसे पूरा करने में उन्हें तीन वर्ष लगे। उन्होंने बताया कि इस बृहदाकार पुस्तक का संस्कृत से संताली में अनुवाद करना दुष्कर एवं चुनौतीपूर्ण था। इससे पहले डॉ0 मुर्मू महाकवि कालिदास की बहुचर्चित संस्कृत नाटक ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम् ‘ , आदिशंकराचार्य विरचित ‘प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ‘ तथा मुंशी प्रेमचंद की विख्यात हिन्दी उपन्यास ‘ निर्मला ‘ का संताली भाषा में अनुवाद कर चुके हैं । उन्होंने बताया कि पंचतंत्रम् सिर्फ कथाग्रंथ नहीं है बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को उन्नत बनाने का एक मजबूत माध्यम है। लोगों को नैतिक, सामाजिक ,सांस्कृतिक और सांस्कारिक रूप से सुदृढ़ करने का शास्त्र है। वेद रामायण, महाभारत और कौटिल्य के अर्थशास्त्र के बाद अगर किसी ग्रंथ ने विश्ववांगमय को सबसे अधिक प्रभावित किया है तो वह पंचतंत्रम् ही है। यही कारण है कि विश्व की अधिकांश भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है।

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