सुप्रीमो सुदेश की सक्रियता व पार्टी के कार्यक्रम से मिल रहे संकेत
फोटो है
सुधीर गोराई/विश्वरूप पांडा
अलग झारखंड राज्य की मांग के नेतृत्वकर्ता मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, स्व0 बिनोद बिहारी महतो, शिबु सोरेन, निर्मल महतो, शैलेंद्र महतो, कृष्णा मार्डी, सूरज सिंह बेसरा, ललित महतो, चम्पई सोरेन, अजित महतो, सूरज मंडल आदि ने बिहार के बड़ेे भू भाग के साथ साथ पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, मेदनीपुर व बांकुड़ा, ओडि़शा के मयूरभंज, क्योंझर, संबलपुर व सुंदरगढ तथा छत्तीसगढ के सरगुजा व रायगढ जिले को सम्मिलित कर ग्रेटर झारखंड राज्य की मांग की थी। यह मांग 1948 में जयपाल सिंह मुंडा ने इस क्षेत्र की भाषा, संस्कृति और रहन-सहन के आधार पर किया था। इस आंदोलन को समय समय पर अन्य नेताओं ने तेज रफ्तार दिया।
अलग राज्य के मांग के दौरान 1988 – 1989 में आंदोलन का रुख उग्र होने के कारण तत्कालीन केंद्र सरकार ने एक समिति गठित की। उक्त समिति ने ग्रेटर झारखंड की परिकल्पना को मानते हुए अपनी रिपोर्ट दी थी। उसके बाद निरंतर आंदोलन जारी रहा। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 15 नवंबर 2000 को बिहार के 18 जिला को अलग कर झारखंड राज्य का गठन किया। बिहार से झारखंड राज्य अलग हुए 20 साल पूरे हो गये और बृहत झारखंड राज्य का मांग मंद प? गया। लेकिन अब आजसु पार्टी बृहत झारखंड ( ग्रेटर झारखंड ) की मांग के लिए आंदोलन की रुप-रेखा तैयार करने लगा है। 2 दिसंबर 2020 में रांची स्थित आजसु के केंद्रीय समिति की बैठक में पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सह झारखंड के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने अपने दल के नेता व कार्यकर्ताओं को यह संकेत दिया। जिसे 5 जनवरी 2021 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला में आजसु पार्टी के कर्मी सम्मेलन में आजसु सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकु?ा, पश्चिम मेदनीपुर व झा?ग्राम जिला को झारखंड राज्य में शामिल करने के लिए चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की जायेगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाषा, संस्कृति और भौगोलिक स्थिति के कारण पश्चिम बंगाल के चार जिला को झारखंड राज्य में सम्मिलित करने की आवश्यकता है। अब देखना है आजसु का सपना साकार होता है या नहीं ?