बन्ना गुप्ता ने तीन मेडिकल कॉलेज में नामांकन रोकने की डा. हर्षवद्र्धन से की बात

एडमिशन पर रोक लगाना झारखंड के छात्रों के साथ नाइंसाफी: बन्ना
जमशेदपुर, 30 दिसम्बर (रिपोर्टर): स्वाथ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने वीडियो कांफ्रेेंसिंग से राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेज में एडमिशन रोकने के मामले पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवद्र्धन से बात की. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया नेशनल मेडिकल कमीशन में भेजा गया है प्रस्ताव, सकरात्मक पहल की उम्मीद है.
बुधवार को वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता ने बात कर तीनों मेडिकल कॉलेज में एडमिशन रोके जाने के मामले को उठाया. उन्होंने कहा कि झारखंड में मेडिकल के क्षेत्र में मानव संसाधन की कमी है, यहां के बच्चे मेडिकल की पढ़ाई कर चिकित्सक बनेंगे और राज्य की सेवा करेंगे, लेकिन आधारभूत संरचना के अभाव को दिखा कर दुमका, हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेज में एडमिशन में रोक लगा दी गई हैं जो झारखंडी छात्रों के साथ नाइंसाफी हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी गंभीर है और लगातार पत्राचार के माध्यम से एडमिशन लेने का आग्रह कर रहे हैं. इसी क्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री और उनके प्रस्ताव को मान कर नेशनल मेडिकल कमीशन को भेजा गया है और उम्मीद है कि जल्द ही कोई सकारात्मक पहल होगी.
——————
2021 में झारखंड को कालाजार से मुक्त करेंगे: बन्ना गुप्ता
केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल में रोग कालाजार की स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक आवश्यक बैठक की. इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि सरकार कालाजार के खात्मे के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि कालाजार मलेरिया के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा परजीवी कारक है और यदि रोगियों का इलाज नहीं किया जाता है तो 95 प्रतिशत घातक परिणाम होता है. इसके अलावा 20 प्रतिशत तक रोगी जिनका सही इलाज किया जाता है और ठीक हो जाते हैं, पोस्ट- कालाजार-डर्मल लीशमैनियासिस, पीकेडीएल नामक एक त्वचा की स्थिति विकसित करते हैं, जो उपचार के बाद महीनों से लेकर वर्षों तक बनी रहती है। इन रोगियों में उनके त्वचा के घावों में बड़ी मात्रा में परजीवी हो सकते हैं, जिससे वे संचरण का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि 30 नवंबर 2020 तक, झारखंड में केवल 12 ब्लॉक में प्रति 10,000 आबादी पर 1 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। झारखंड ने कालाजार और पीकेडीएल के मामलों में कमी लाने के साथ-साथ प्रति 10,000 से अधिक मामले की रिपोङ्क्षर्टग करने वाले ब्लॉकों की संख्या में उल्लेखनीय प्रगति की है. राज्य योजनाओं के तहत बेहतर आवास प्रदान करने के लिये झारखंड सरकार द्वारा बिरसा मुंडा आवास योजना और भीमराव अंबेडकर आवास योजना के तहत लाभ दिया गया है।उन्होंने कहा कि राज्य में कालाजार उन्मूलन के लिए विशेष टास्क फोर्स बनी है जो लगातार समीक्षा करते रहती हैं।उन्होंने बताया कि हम रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत कोष से 6600 रुपए देती हैं साथ ही इसके उन्मूलन में कार्य करने वाले लोगों देने वाली प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी का विचार कर रही हैं.

इस अवसर पर प्रधान सचिव श्री नितिन मदन कुलकर्णी, नेशनल हेल्थ मिशन के प्रबंध निदेशक श्री रवि शंकर शुक्ला उपस्थित रहे।

Share this News...