जमशेदपुर में सडक़ सुरक्षा एक बड़ी समस्या रही है। यह देश का इकलौता ऐसा शहर है जहां दिन में भी भारी वाहन चलते है। सडक़ सुरक्षा को लेकर जमशेदपुर के सांसद विद्युत महतो की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में यातायात को सुगम बनाने के लिये लाइसेंस निलम्बन एवं जुर्माना, हिट एण्ड रन, शराब सेवन कर वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं, सडक़ पर अवैध पार्किंग की समीक्षा की गई। उपायुक्त ने कहा कि औद्योगिक शहर होने के कारण यहां के लोगों की क्रय शक्ति अधिक है। इस कारण यहां सडक़ों पर वाहनों की संख्या इतनी अधिक है। इस कारण सडक़ों पर बहुत भार रहता है।
जमशेदपुर एक ऐसा शहर है जिसके बीचोबीच कई प्रमुख कंपनियां है। टाटा स्टील का उत्पादन कई गुणा बढ़ गया है। इसके लिये शहर में लाजिस्टिक ढुलाई का भार भी की गुणा बढ़ गया है। शहर की सडक़ें उतने भारी वाहनों का भार वहन करने की स्थिति में है या नहीं यह बड़ा सवाल है। जमशेदपुर में कई इसबात को लेकर कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं होता। यहां का यातायात कैसे सुगम हो, लोगों का जीवन कैसे सुरक्षित रहे यह बड़ा सवाल है। भारी वाहनों की आवाजाही नियंत्रित करने के सारे उपाय धरे के धरे रह जाते है। सडक़ों का चौड़ीकरण किया जा रहा है, लेकिन जितनी तेजी से सडक़ों पर दबाव बढ़ता जाता है, उस कारण ये सडक़ें बहुत जल्द संकरी प्रतीत होने लगती हैं। मानगो को जरुर दिन में भारी वाहनों से मुक्ति मिली है, लेकिन मानगो गोलचक्कर के कारण हमेशा सडक़ जाम की स्थिति बनी रहती है। भारी वाहनों की दिनभर उक्त गोलचक्कर होकर आवाजाही होती रहती है। इनके अलावे मानगो बस स्टैण्ड भी यातायात समस्या को बढ़ावा ही देता है। मानगो बस स्टैण्ड को अन्यत्र स्थानांतरित करने की योजना कई बार बनी। अभी एन एच पर अंतर्राज्जीय बस अड्डा बनाने का प्रस्ताव सालों से लम्बित पड़ा है। इन मूलभूत समस्याओं का समाधान किये बगैर जमशेदपुर की यातायात समस्या बनी रहेगी। लाइसेंस दुरुस्त करना जरुरी है, हेलमेट की भी नियमित जांच होनी चाहिए लेकिन आज जमशेदपुर यातायात पुलिस की भूमिका केवल हेलमेट एवं मास्क चेकिंग तक ही सीमित रह गई है। सडक़ों का अतिक्रमण कैसे हटे, सडक़ पर बाजार न लगे, इस ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। बल्कि यह संदेश चला जाना चाहिए कि अब सडक़ को केवल आवाजाही के लिये उपयोग में लाया जाये। दुकान ठेला लगाने या अवैध पार्किंग के लिये नहीं। इन दिनों अवैध पार्किंग को लेकर कुछ सक्रियता जरुर देखने को मिल रही है, लेकिन यह नियमित होना चाहिए। सडक़ सुरक्षा को लेकर कई बार जागरुकता अभियान भी चलाये जाते है। लेकिन देखा गया है कि न तो आम जनमानस इसे गंभीरता से लेता है और न ही प्रशासनिक तंत्र इसके प्रति गंभीर है। कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूरी ही की जाती है। यही कारण है कि दिनों दिन शहर की यातायात व्यवस्था और गंभीर होती जा रही है। इसका निदान किया जाना बेहद जरुरी है।