जमशेदपुर, 16 मई (रिपोर्टर):- विधायक सरयू राय के निजी जीवन और फोन कॉल की खुफिया निगरानी के संबंध में उनकी शिकायत पर विशेष शाखा ने जांच की है. सूत्रों के अनुसार विशेष शाखा ने विधायक द्वारा की गई शिकायत और दिए गए दृष्टांतों की पुष्टि की है. खबर है कि सीआईडी द्वारा भी जांच जारी है और शीघ्र ही इसका प्रतिवेदन सौंप दिया जाएगा. विधायक का दावा है कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा उनकी निगरानी के साथ-साथ अवैध ढंग से भवन निर्माण के दो सरकारी क्वार्टरों ने खुफिया निगरानी के लिए अलग से प्रबंध किया गया था. इसमें सब सरकारी व्यवस्था थी लेकिन यह काम वैजनाथ प्रसाद नामक एक व्यक्ति की देखरेख में चलता था. वैजनाथ प्रसाद अद्र्धसरकारी समिति सीडब्ल्यूसी का सदस्य बताया जाता है. विधायक ने सवाल उठाए हैं कि वर्तमान सरकार जांच कर यह बताए कि किसके आदेश पर यह समानांतर व्यवस्था चलाई जा रही थी. उनका कहना है कि उनके पास जो सूचना है उसके अनुसार उस कार्यालय में सत्ताशीर्ष पर बैठे नेता भी एक से अधिक बार उस कार्यालय में गए थे. विधायक ने कहा कि खुफिया तंत्र का दुरुपयोग पुलिस की व्यवस्था की विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह करता है. यह न्याय और अन्याय के बीच आम नागरिक के हक का भी मुद्दा है. कोई सरकार या उसका अधिकारी किसी नागरिक के निजता के हक पर अतिक्रमण कैसे कर सकता है.
उल्लेखनीय है कि झारखंड में कुछ और मामले सामने आए हैं जब आम लोगों के फोन टैप कर उनकी निगरानी की गई. जबकि इस संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा इंडियन टेलीग्राफ रूल्स 1951 के तहत कतिपय प्रावधान है. समय-समय पर उनमें संशोधन भी हुआ है. इसके तहत प्रावधान है कि भारत सरकार ने गृह मंत्रालय के अधीन सचिव स्तर का कोई पदाधिकारी और राज्य सरकार के मामलों में भारत सरकार के संयुक्त सचिव के समकक्ष अधिकारी जिसे केन्द्रीय गृह सचिव ने अथवा राज्य गृह सचिव ने अधिकृत किया हो उसी के आदेश पर कोई फोन मैसेज को कुछ विशेष और आपात परिस्थितियों में ही निगरानी के दायरे में लाया जा सकता है. इस नियम में ऐसे ढेरों प्रावधान है जिनका पालन सुनिश्चित करने के बाद ही किसी के फोन की निगरानी की अनुमति दी जा सकती है. प्रश्न है कि झारखंड में खुलेआम हरसट्ठे इस प्रकार की निगरानियां कैसे चल रही थीं? यहां ऐसा माहौल बन गया था जैसा लगा रहा था कि आमलोगों के बीच उनकी बातचीत के अधिकार पर कोई आतंकवादी हमला हो गया था. लोग एक दूसरे से बात करने में सशंकित रहते थे. इस मामले में झारखंड के एक वरीय आईपीएस अधिकारी सारी वद्य अमलियों के केन्द्र बिन्दु में माने जाते हैं जिन्होंने पूर्ववर्ती सरकार में एक ‘कोटरीÓ बना कर मनमानियां चलाईं.