कर्नाटक के बच्चे और किशोर बड़ी संख्या में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में हैं. हालांकि कहा तो यह जा रहा है कोरोना वायरस तीसरी लहर में बच्चों को अपनी गिरफ्त में लेगा. कर्नाटक से पिछले दो महीने में जो आंकड़े सामने आये हैं उसके अनुसार 0-9 साल तक के बच्चों में कोरोना का संक्रमण अब तक हुए संक्रमण का 143 प्रतिशत है. वहीं 10-19 साल तक के बच्चों में यह संक्रमण 160 प्रतिशत है.
कर्नाटक के वार रूम से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार मार्च 18 से मई 18 तारीख तक प्रदेश में 0-9 साल तक के 39, 846 बच्चे और 10-19 साल तक के एक लाख से अधिक बच्चे कोरोना पाॅजिटिव पाये गये.
हालांकि बच्चों में मौत की दर काफी कम है. मार्च 18 तक 28 बच्चों की मौत हुई थी, जबकि 18 मई तक 15 बच्चों की मौत हुई. टाइम्स आॅफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार किशोरों में मौत का आंकड़ा थोड़ा ज्यादा है जो 46-62 के बीच 18 मई तक देखा गया है.
कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों में मौत का आंकड़ा पहले से तिगुना हुआ है जबकि किशोरों में यह आंकड़ा दोगुणा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों में संक्रमण बहुत ही आसानी से फैल जाता है और देखा गया है कि वे अपने घर के बड़ों से ही संक्रमित होते हैं.
डाॅक्टरों का कहना है कि बच्चों में जैसे ही कुछ लक्षण दिखे उसके अभिभावकों को उन्हें आइसोलेट कर देना चाहिए. बाल रोग विशेषज्ञों का मानना है कि दस में से मात्र एक बच्चे को ही अस्पताल में भरती करने की जरूरत होती है. वे आसानी से घर में ठीक हो सकते हैं, लेकिन जरूरत इस बात की है कि उनकी देखरेख सही से हो.
डाॅ चंद्रशेखर का कहना है कि अगर बच्चे को बुखार, दस्त, कफ और उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो उनका कोरोना टेस्ट कराना चाहिए, लेकिन उनका सीटी स्कैन, डी डाइमर टेस्ट और ब्लड टेस्ट बिना डाॅक्टर के परामर्श के नहीं करना चाहिए.
अगर माता-पिता संक्रमित हों तो उन्हें यह समझना चाहिए कि उनका बच्चा भी संक्रमित होगा, इसलिए उन्हें उनके दादा-दादी के पास छोड़ना सही नहीं है, इससे उनके बुजुर्ग माता-पिता भी खतरे में आ सकते हैं. इसलिए बच्चों को अपने पास रखें और उनकी उचित देखभाल करें. बच्चों का आॅक्सीजन लेवल और पल्स रेट चेक करते रहें और डाॅक्टर के परामर्श का पूरी तरह पालन करें.