कभी देखा है ऐसा घड़ा, 2000 साल है पुराना,इतना बड़ा कि आ सकता है 2 हजार लीटर पानी

आपने अब तक कितना बड़ा घड़ा देखा है? आपके घर में कितना बड़ा घड़ा है?आपने अब तक जो सबसे बड़ा घड़ा देखा है उसमें कितना पानी आ जाता है? ये प्रश्न इसलिए कि आमतौर पर घड़े में 5-10-20 लीटर मानी ही आता है. अब बात करें घड़े के टिकाऊपन की. सबसे पुराना घड़ा आपने कितना पुराना देखा है? 10 साल, 20 साल, 50 साल या 100 साल पुराने घड़े भी हो सकता है आपने देखे होंगे, लेकिन क्या आपने ऐसा घड़ा देखा है, जिसमें 2000 लीटर पानी आ जाए और उसकी उम्र भी 2000 साल से ज्यादा हो?
. बताया जाता है कि इस घड़े में 2 हजार लीटर पानी आ सकता है. यह घड़ा करीब 40 साल पहले खुदाई में मिला था. कन्नौज देश-दुनिया में इत्र नगरी के नाम से मशहूर है. बताया जाता है कि यह घड़ा करीब दो हजार वर्ष पुराना है और इसका ताल्लुख कुषाण वंश से है. 40 साल पहले यहां के शेखपुरा मोहल्ले में खुदाई के दौरान यह घड़ा मिला था. इस घड़े की चौड़ाई 4.5 फीट है और ऊंचाई के मामले में यह 5.4 फीट ऊंचा है.
गौरवशाली इतिहास का गवाह

बता दें कि यहां कभी सम्राट हर्षवर्धन और राजा जयचंद का साम्राज्य था. जिले का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. समय-समय पर हुई खुदाई के दौरान यहां कई ऐसी नायाब चीजें निकली हैं, जिन्हें देखकर हर कोई अचंभित रह जाता है. पहली से तीसरी सदी तक यहां कुषाण वंश का राज था और इस घड़े को उसी समय का माना जाता है. यहां बने नए म्यूजिम में एक कांच के घेरे में इस अद्भुत घड़े को रखा गया है. जो भी इसे देखता है, वह हैरान रह जाता है कि इतना पड़ा और पुराना घड़ा आज भी सुरक्षित है.
जैसा कि हमने ऊपर बताया यहां का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. यहां कनिष्क शासन के समय और उससे पहले व बाद के गुप्त काल के दौर के भी मिट्टी के बर्तन यहां खुदाई में मिले हैं. पुरातात्विक खोजों के अनुसार कन्नौज में पेंटेड ग्रे वेयर और नॉर्दर्न ब्लैक पॉलिश्ड वेयर कल्चर था. इसका मतलब है कि यहां 3500 साल पहले भी मानव सभ्यता मौजूद थी.
इससे बड़ा और पुराना घड़ा नहीं मिला
इस म्यूजियम के अध्यक्ष दीपक कुमार इतिहास के जानकार हैं. उनका कहना है कि अब तक कहीं भी इससे बड़े और पुराने घड़े के सुबूत नहीं मिले हैं. उन्होंने बताया कि काफी शोध के बाद इस घड़े की उम्र का आकलन किया गया है. उन्होंने बताया कि यह घड़ा कुषाण वंश के दौरान 78ई. से 230 ई. के बीच का हो सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि उस समय गंगा नदी शहर के करीब से गुजरती थी और इस तरह के घड़ों में पानी सहेजकर रखने की परंपरा थी.
पिछले 5 दशक से ज्यादा समय से पुरातत्व विभाग कन्नौज में खुदाई करता रहा है, जहां से नायाब चीजें मिलती रही हैं. यहां से टेराकोटा की मूर्तियों के साथ ही 1000 वर्ष से भी पुरानी मुद्राएं मिली हैं. यहां भगवान शिव की कई मुद्राओं में प्राचीन मूर्तियां खुदाई में मिली हैं. अलग-अलग सदियों के शिलालेख, मूर्तियां, बर्तन, पत्थर और सिक्के भी यहां मिलते रहे हैं. यहां बने म्यूजियम में हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म से जुड़ी कई विरासतों को सहेजकर रखा गया है. इन सभी की उम्र का आकलन कार्बन डेटिंग और थर्मोल्यूमिनिसेंस तकनीक से किया जा चुका है.

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