केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल पर एक्साइज़ ड्यूटी में दो रुपये प्रति लिटर की बढ़ोतरी आज से कर दी है. इस बाबत सेंट्रल एक्साइज़ के अंडर सेक्रेटरी धीरज शर्मा ने नोटिस भी जारी कर दिया है. ये ऑर्डर कल से मतलब 8 अप्रैल से लागू होगा. हालांकि, सरकार का कहना है कि इस बढ़ोतरी का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा.
मोदी सरकार ने सोमवार, 7 अप्रैल 2025 को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का ऐलान कर दिया. केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर 2 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. पेट्रोल-डीजल पर नई दरें रात 12 बजे से लागू होंगी. सबसे बड़ी बात कि ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमतें तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं.
सस्ता हुआ कच्चा तेल
पिछले हफ्ते की बात करें तो क्रूड ऑयल की कीमत 62 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई, जो अगस्त 2021 के बाद की सबसे कम दर है. इस गिरावट की वजह है वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका और तेल की मांग में कमी. सोमवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 63.23 डॉलर प्रति बैरल रही, जबकि अमेरिका का Nymex क्रूड 10 फीसदी गिरकर 62 डॉलर पर पहुंच गया. साथ ही, सऊदी अरब ने एशिया के लिए अपनी प्रमुख ग्रेड ‘अरब लाइट’ की कीमत लगातार दूसरे महीने घटा दी है. OPEC+ देशों ने भी इस महीने से उत्पादन कटौती में ढील दी है, जिससे बाजार में आपूर्ति बढ़ सकती है.
देश में उठ रहे सवाल
एक तरफ भारत सरकार ने तेल की कीमतें बढ़ा दी हैं, वहीं दूसरी ओर देश में सवाल उठने लगे हैं कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता हो गया है, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें भारत में क्यों नहीं घट रही हैं. बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी सरकार से पूछा था कि क्या ‘डायनामिक प्राइसिंग’ सिर्फ तब लागू होती है जब कीमतें बढ़ती हैं? आम जनता भी उम्मीद कर रही है कि अब पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई साफ संकेत नहीं मिला है. इसके उलट पेट्रोल-डीजल के दाम और ज्यादा बढ़ा दिए गए हैं.
पैसा कमा रही हैं तेल कंपनियां
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर भारत की तेल कंपनियों पर भी पड़ रहा है. इंडियन ऑयल, एचपीसीएल और बीपीसीएल जैसी तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि उनकी ऑटो फ्यूल मार्केटिंग मार्जिन 13 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है, जो सामान्यतः 3.5 से 6.2 रुपये प्रति लीटर के बीच होती है. लेकिन अगर सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा देती है या खुदरा कीमतें घटाती है, तो इन कंपनियों का मुनाफा प्रभावित हो सकता है.
इन कंपनियों के लिए नुकसानदायक
ONGC और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियों के लिए यह गिरावट नुकसानदायक हो सकती है. JM फाइनेंशियल के मुताबिक, हर 1 डॉलर की गिरावट से इन कंपनियों की प्रति शेयर आय (EPS) में 1.5-2 फीसदी की कमी आ सकती है. साथ ही, अगर तेल की कीमत 70 डॉलर से नीचे बनी रहती है, तो अमेरिकी शेल ऑयल कंपनियों का निवेश भी प्रभावित होगा क्योंकि उनका ब्रेक-ईवन प्राइस 60-65 डॉलर प्रति बैरल होता है. वहीं सऊदी अरब को भी घाटा हो सकता है, क्योंकि उनका बजट 85 डॉलर प्रति बैरल की दर से संतुलित होता है.