…तो हाईकोर्ट के 5 जजों की बेंच के फैसले को चुनौती दें : सरयू

रांची,16 सितंबर: निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सलाह दी है. उन्होंने कहा कि अगर वे सचमुच 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करना चाहते हैं तो इस संबंध में हाईकोर्ट के पांच जजों की बेंच के 2002 में दिए गए फैसले को चुनौती दें.
सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वो अहम-सरयू
सरयू राय ने कहा कि 11 जनवरी 2007 को सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच का फैसला है कि जिस मामले में कोर्ट का निर्णय हुआ है, उसे नौवीं अनुसूची में डालने पर कोर्ट उसकी न्यायिक समीक्षा करेगा. उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि केंद्र सरकार चाहे भी तो 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता के निर्णय को न्यायिक समीक्षा के बिना संविधान की 9वीं अनुसूची में नहीं डाला जा सकता, भले ही यह निर्णय झारखंड विधानसभा से अधिनियम के रूप में पारित क्यों न हो जाए.
स्थानीयता पर सरकार के निर्णय से कांग्रेस खुश: अध्यक्ष
प्रदेश में सत्तारूढ़ झामुमो की सहयोगी झारखण्ड कांग्रेस ने राज्य सरकार के स्थानीयता को लेकर लये गये फैसले का स्वागत किया है। पार्टी नेताओं ने इसको लेकर श्रद्धानंद रोड से फिरायालाल चौक तक रैली निकाली और प्रदर्शन किया। इस दौरान सैंकड़ों कांग्रेसी शामिल हुए। इस दौरान कांग्र्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार के फैसले के समर्थन में नारेबाजी की। वहीं रैली में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लगातार जनहित में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान नीति का यहां के लोग लंबे समय इन्तजार कर रहे थे और हमारी सरकार ने इस पर मुहर लगाया है। उन्होंने कहा कि लोग ख़ुशी से झूम रहे हैं यह स्वत: स्फूर्त है, किसी को बुलाने की जरुरत नहीं है।एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सबको भावना व्यक्त करने का अधिकार है। विधानसभा में जब चर्चा होगी सभी अपना अपना संशोधन पेश करेंगे जो विधानसभा में सर्व सम्मति से पारित होगा और वही कानून बनेगा।

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