रांची, 31 मई : इडी की जांच के दायरे में आए झारखंड में सरकारों के बड़े लायजनर के रूप में चर्चित प्रेम प्रकाश ने राज्य में पोषाहार सप्लाई के लिए भी राज्य की बाहर की पार्टियों को ठेका दिलाया था. इडी की जांच में इन सारी बातों का खुलासा हो रहा है. पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार में प्रेम प्रकाश की जो तूती बोलती थी उसके कारण ही लगभग 1700 करोड़ रूपये का यह पोषाहार ठेका उसने राज्य के बाहर की दो बड़ी कंपनियों को दिलाया. यह काम समाज कल्याण विभाग के अधीन था और उस समय पूजा सिंघल विभाग की निदेशक थी. उल्लेखनीय है कि पूजा सिंघल के खिलाफ इडी की जांच के बाद ही प्रेम प्रकाश नये विलेन के रूप में सामने आया. इसके पहले यह पर्दे के पीछे आम लोगों से छिपा रहा. झामुमो सरकार के पहले की भाजपा सरकार में प्रेम प्रकाश की रंगत कम नहीं थी. पोषाहार वितरण के उक्त मामले में केंद्र का आवंटन 60 फीसदी और राज्य का 40 फीसदी होता था. पहले यह कांट्रेक्ट 3 साल का था जिसे बाद में बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया. प्रेम प्रकाश का जलवा उस समय भी वैसे ही रहा जैसे आज सामने आ रहा है. झारखंड पुलिस के जवान उसकी सुरक्षा में तैनात रहते थे. ये बाडीगार्ड उसे उस समय से मुफ्त में मिले थे जब तत्कालीन मुख्यमंत्री अंगरक्षकों को लेकर काफी कड़ा रूख प्रदर्शित कर रहे थे. चिरकुट नेताओं को बाडीगार्ड के विरोधी उस शासन में भी प्रेम प्रकाश को बाडीगार्डो की फौज घेरे रहती थी जबकि वह एक लाइजनर का ही काम करता था. करोड़ के पोषाहार ठेका में भी प्रेम प्रकाश का नाम
रांची, 31 मई : इडी की जांच के दायरे में आए झारखंड में सरकारों के बड़े लायजनर के रूप में चर्चित प्रेम प्रकाश ने राज्य में पोषाहार सप्लाई के लिए भी राज्य की बाहर की पार्टियों को ठेका दिलाया था. इडी की जांच में इन सारी बातों का खुलासा हो रहा है. पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार में प्रेम प्रकाश की जो तूती बोलती थी उसके कारण ही लगभग 1700 करोड़ रूपये का यह पोषाहार ठेका उसने राज्य के बाहर की दो बड़ी कंपनियों को दिलाया. यह काम समाज कल्याण विभाग के अधीन था और उस समय पूजा सिंघल विभाग की निदेशक थी. उल्लेखनीय है कि पूजा सिंघल के खिलाफ इडी की जांच के बाद ही प्रेम प्रकाश नये विलेन के रूप में सामने आया. इसके पहले यह पर्दे के पीछे आम लोगों से छिपा रहा. झामुमो सरकार के पहले की भाजपा सरकार में प्रेम प्रकाश की रंगत कम नहीं थी. पोषाहार वितरण के उक्त मामले में केंद्र का आवंटन 60 फीसदी और राज्य का 40 फीसदी होता था. पहले यह कांट्रेक्ट 3 साल का था जिसे बाद में बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया. प्रेम प्रकाश का जलवा उस समय भी वैसे ही रहा जैसे आज सामने आ रहा है. झारखंड पुलिस के जवान उसकी सुरक्षा में तैनात रहते थे. ये बाडीगार्ड उसे उस समय से मुफ्त में मिले थे जब तत्कालीन मुख्यमंत्री अंगरक्षकों को लेकर काफी कड़ा रूख प्रदर्शित कर रहे थे. चिरकुट नेताओं को बाडीगार्ड के विरोधी उस शासन में भी प्रेम प्रकाश को बाडीगार्डो की फौज घेरे रहती थी जबकि वह एक लाइजनर का ही काम करता था.