पटनाः बिहार में एक समय बड़े राजघरानाओं में शामिल रहे बेतिया राज की बेशुमार और बेशकीमती जमीन सरकार अपने अधीन ले लेगी। इसे लेकर बिहार विधानमंडल ने एक विधेयक को मंजूरी दे दी।
बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने बेतिया राज की संपत्तियों को सरकार में निहित करने वाला विधेयक पेश किया गया, जिस पर सदन ने मंजूरी दे दी। इसके बाद विधेयक को विधान परिषद की भी मंजूरी मिल गई।
1954 में बेतिया राजपरिवार के आखिरी सदस्य की विदाई
इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद बेतिया राज की सारी संपत्ति अब बिहार सरकार की हो जाएगी। 1954 में महारानी जानकी कुंवर के निधन के बाद ही बेतिया राजपरिवार के आखिरी सदस्य की विदाई हो गई थी।
बिहार और यूपी के विभिन्न जिलों में है जमीन
मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि बेतिया राज की करीब 15 हजार एकड़़ से अधिक जमीन और अन्य संपत्ति अब राज्य सरकार में निहित की जा रही है। इनकी जमीन बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी है। बिहार में बेतिया राज की 15213 एकड़ जमीन है, जबकि 143 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश में है। बिहार में बेतिया राज की अधिकांश जमीन पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिले में है। इसके अलावा सारण, सिवान, गोपालगंज और पटना में भी बेतिया राज की जमीन है। इन जमीनों की कीमत 8000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है।
अब बसे हुए लोगों को खाली करनी होगी जमीन
मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि जो संपत्ति जिन्होंने कब्जा किया है, उन सभी को खाली करना होगा और जो कोर्ट में केस है, वह खुद ब खुद खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बिल के पास हो जाने से सबसे बड़ी बात यह है कि जितने भी जमीन है वह सारी जमीन अब राज्य सरकार के पास चली गई है. राज्य सरकार उस पर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ-साथ कई और बिल्डिंग बनाएगी. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से कुछ लोग वहां रह रहे हैं, उनके लिए यह प्रावधान किया गया है कि वह जिला में बने समाहर्ता के नेतृत्व में जो कोर्ट है, वहां वह अपील कर सकते हैं. इसके साथ ऐसे लोग हमारे यहां राजस्व भूमि सुधार विभाग में जाकर अपील करेंगे. सभी संपत्तियों का आकलन किया जा रहा है.
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि बेतिया राज की 15 हजार एकड़ से अधिक जमीन और अन्य संपत्तियां अब राज्य सरकार में निहित हो रही है. इनकी जमीन बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी है. बेतिया राज की 15213 एकड़ जमीन बिहार में और 143 एकड़ जमीन यूपी में है. बिहार में बेतिया राज की अधिकांश जमीन पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में है. इसके अलावा सारण, सीवान, गोपालगंज और पटना में भी बेतिया राज की जमीन है. इन जमीनों की कीमत 8000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है.
शीत सत्र में बिहार विधानमंडल से बिल हुआ पास
बता दें कि बिहार विधानमंडल ने मंगलवार को बिहार और यूपी में फैले प्रदेश के सबसे बड़े राजघरानों में से एक बेतिया राज की अपार और अमूल्य जमीन को सरकार के अधीन करने संबंधी विधेयक पारित कर दिया है. मंगलवार को नीतीश कुमार सरकार की ओर से राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने सबसे पहले विधानसभा में बेतिया राज की संपत्तियों को सरकार में निहित करने संबंधी विधेयक पेश किया, जिसे बुधवार तक के लिए सदन स्थगित होने से पहले पारित कर दिया गया. इसके बाद विधेयक को विधान परिषद की भी मंजूरी मिल गई. दरअसल 1954 में महारानी जानकी कुंवर के निधन के साथ ही बेतिया राजपरिवार की अंतिम सदस्य का निधन हो गया था.
भाकपा-माले विधायक ने विधेयक को काला कानून बताया
भाकपा-माले विधायक बीरेंद्र गुप्ता ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे काला कानून बताया। उन्होंने कहा कि इस बिल के पारित होने से 1885 के बाद वहां बसे लोग बेघर हो सकते हैं। इसे लेकर मंत्री दिलीप जायसवान ने भरोसा दिलाया कि कानून नोटिफाई होने के बाद सरकार जमीन की लिस्ट जारी करेगी और प्रभावित होने वाले लोगों से आपत्तियां लेकर उनका निराकरण भी करेगी।
केके पाठक का जमीन से अवैध कब्जा हटाने को लेकर चल रहा डंडा
बिहार राजस्व पर्षद के चेयरमैन और कड़क आईएएस केके पाठक को जब से बोर्ड में आए हैं, तब से उनके एजेंडे पर बतिया राज की जमीन से अवैध कब्जा हटाना का प्रयास किया जा रहा है। केके पाठक के निर्देश पर अफसरों ने जांच की तो यह बात सामने आई कि पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण में लगभग 3600 एकड़ पर अवैध कब्जा या अतिक्रमण है। बताया गया है कि बेतिया में 11600 अतिक्रमणिकारियों की पहचान हुई है। इस मामले में प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जा रही है।