11 तबलीगी जमातियों को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी किया

जमशेदपुर:
विदेशी तबलीगी जमाती मामले में घाटशिला के एसीजेएम सुशीला सोरेग की अदालत ने शुक्रवार को 11 विदेशी तबलीगी जमातियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. बरी किए गए जमातियों में गुलाल उद्दीन अब्दुल्लाह( किर्गिस्तान )या दहाई( चीन) मां मनाई (चीन) रुस्तम कि राखीम उल्लू (किर्गिस्तान) साकिर सह अकूनाव (कजाकिस्तान) जाकिर चेकू नोवा (कजाकिस्तान )स्माइल निशनोल( कजाकिस्तान) जीनारेबुक चिनालीव (किर्गिस्तान )इस्लावेक नूर भाजीक ( कजाकिस्तान) एवं इलियास मायानोक (कजाकिस्तान) शामिल है. मालूम हो कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमित कोविड-19 के दौरान देश में लगाए गए लॉकडाउन के समय गैर तरीके से देश के मस्जिदों में ठहरे विदेशी तबलीगी जमातियों को प्रशासन द्वारा कोरोनटाइन किया गया था. जिला प्रशासन ने राणा गांव स्थित मस्जिद में ठहरे 11 विदेशी तबलीगी जमाती यों को मुसाबनी कैंप में स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर कोरनटाइन किया था. मुसाबनी थाना प्रभारी राजीव रंजन ने इन जमातियों का पासपोर्ट वीजा का सत्यापन के बाद 7 अप्रैल को घाटशिला जेल भेज दिया था जिनमें मांगों के जाहिद परवेज एवं अब्दुल सलाम भी शामिल था. पुलिस ने जमातीयों पर बीजा उल्लंघन एवं लॉकडाउन का हवाला देते हुए घाटशिला जेल भेज दिया था. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर जमा किया मामले का निष्पादन 2 माह में करने का आदेश जिला प्रशासन एवं संबंधित न्यायालय को दिया गया था अदालत ने पाए कि यह मामला रण गांव क्षेत्र की है तथा इसमें साक्ष्य की भी कमी है इसको देखते हुए सभी जातियों को बरी कर दिया.
बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें जिस एंबेसी द्वारा मामले में पति नियुक्त किया गया था उनके द्वारा कहा जा रहा है कि जमातीयों को बेवजह झूठा मामला में जेल में डाल दिया गया था इसलिए उनके खिलाफ डिफेमेशन का केस करना उचित प्रतीत होता है अधिवक्ता विरेंद्र सिंह ने बताया कि जजमेंट का कॉपी निकालने के बाद राज्य सरकार के खिलाफ डिफेमेशन केस करेंगे

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