कोरोना मरीजों की सेवा करते शहर के सात डॉक्टरों ने गंवाई जान, पर नहीं मिला मुआवजा

आईएमए ने डॉक्टरों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की
जमशेदपुर, 23 जनवरी (रिपोर्टर): इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डा. मृत्युंजय सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरन शहर के सात डॉक्टरों की कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए मौत हो चुकी है लेकिन केन्द्र सरकार के प्रावधान के अनुसार किसी को भी मुआवजा नहीं मिला. उन्होंने कहा झारखंड को छोड़ कर अन्य राज्यों में मुआवजा दिया जा रहा है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से साकची में आईएमए भवन में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया. इस मौके पर आईएमए सचिव डा. मृत्युंजय सिंह ने सरकार से मांग की कि कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए जिन डॉक्टरों की मौत हुई है उन्हें कोरोना के दौरान मुआवजा राशि को लेकर जो प्रावधान किया गया है उसके अनुसार मुआवजा दिया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि अगर किसी कोरोना वारियर्स की मौत होती है तो उसे मुआवजा के रूप में 50 लाख रुपये मिलेगा. शहर में कोरोना महामारी के दौरान डा. वीरेंद्र सेठ, डा. एम एम अग्रवाल, डा. जे पी लाल, डा. बी पी चौधरी, डा. के एन सिन्हा, डा. गार्डियन व डा.निमाई चरण साहू की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि बिहार, बंगाल, ओडि़शा में मृत चिकित्सकों को मुआवजा राशि मिल रही है, जबकि यहां पर अब तक नहीं मिला है. इस मोके पर आईएमए के अध्यक्ष डा. उमेश खां ने क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन करने की मांग किया. उन्होंने कहा कि जल्दीबाजी में इसे लागू कराने से जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में एक कमेटी बनाकर जनहित को देखते हुए उसे लागू किया जाए. डा. अशोक कुमार ने कहा कि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन नहीं होने से इसका प्रभाव गरीब जनता पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि एक्ट में संशोधन नहीं कि छोटे- छोटे नर्सिंग होम व क्लिनिक बंद हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट हॉस्पिटल में जिस तरह से इलाज महंगा है उससे मरीजों को इलाज भी नहीं मिल पायेगा. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कोरोना महामारी को नियंत्रण करने लिए आभार जताया.

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