स्वास्थ मंत्री बन्ना गुप्ता और विभागीय प्रधान सचिव में तनातनी, कोरोना से जंग के बीच विभाग में ही हो रही लड़ाई

स्वास्थ्य विभाग में हालात विस्फोटक; ,लंबी छुट्टी पर जा सकते हैं नितिन कुलकर्णी

रांची, 3 मई इएमएस :- एक ओर जहां पूरा झारखंड कोरोना से लड़ाई लड़ रही है वहीं इस लड़ाई के केंद्र में रहने वाले स्वास्थ्य विभाग में सबकुछ ठीक ठाक नहीं है। हाल ही आईपीएस अधिकारियों के स्थानांतरण से नाराज चल रहे मंत्री बन्ना गुप्ता की विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी से पट नहीं रही है। ऐसा ही कुछ रिम्स के निदेशक को लेकर भी चल रहा है। बेशक, इनका मामला प्रधान सचिव स्वास्थ्य से कुछ अलग है, लेकिन अब पूरे महकमे में यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है। नौकरशाही से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर स्वास्थ्य मंत्री इन दोनों को हटाने के लिए इतने आतुर क्यों हैं? सूत्रों ने बताया कि यह मामला मुख्यमंत्री के समक्ष भी उठ चुका है तथा सभी लोग अपना-अपना पक्ष रख चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि प्रधान सचिव स्वास्थ्य ने तो यहां तक कह दिया है कि यदि इसी तरह मंत्री का दबाव रहा तो वह छुट्टी पर जा सकते हैं।
राज्य कोरोना महामारी से लड़ रहा है और ऐसे समय में विभाग में इस तरह की खटपट पूरे नौकरशाही में चर्चा का विषय बनी हुई है। आखिर क्या ऐसे हित हैं जिसके चलते यह स्थिति पैदा हो गई है? दबी जुबान सब एक-दूसरे को बता भी रहे हैं लेकिन अभी खुलकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हालात काफी विस्फोटक हैं और कभी भी इसके पीछे की कहानी का खुलासा हो सकता है।
मंत्री बन्ना गुप्ता ने प्रधान सचिव पर अपनी उपेक्षा का भी आरोप लगाया है। बताया जाता है कि उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी की है। मंत्री ने स्वास्थ्य सचिव पर कोरोना से निपटने को लेकर जारी किए गए कई आदेशों पर उनकी स्वीकृति नहीं लेने तथा कार्यपालिका नियमावली का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। हालांकि, स्वास्थ्य सचिव ने जवाब भी दिया है कि जो भी आदेश दिए गए हैं, वे कोई नीतिगत मामले नहीं हैं तथा केंद्र के दिशा-निर्देश के अनुसार आदेश जारी किए जा रहे हैं। नीतिगत मामले में मंत्री से अनिवार्य रूप से अनुमति ली जाती है। उन्होंने कहा है कि कार्यपालिका नियमावली की उपेक्षा कर आदेश जारी करने का कोई मामला नहीं है।
स्वास्थ्य सचिव ने मंत्री द्वारा उठाई गई आपत्ति का बिंदुवार जवाब दिया है तथा इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को भी दी है। विभाग में चर्चा है कि मंत्री इस तरह के आरोप लगाकर डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी को हटाना चाहते हैं, जबकि कोरोना के वर्तमान संकट में उन्हेंं पद पर बने रहना जरूरी है।
दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री रिम्स निदेशक डॉ. डीके सिंह को को पद से तत्काल कार्यमुक्त करने की अनुशंसा कर भी मंत्री सवालों के घेरे में हैं। बताया जाता है कि एम्स, बठिंडा में कार्यकारी निदेशक के पद पर चयन होने के बाद रिम्स निदेशक डॉ. डी के सिंह ने इसकी सूचना विभाग को देते हुए कोविड-19 महामारी के सामान्य होने पर कार्यमुक्त करने की मांग की थी। विभाग ने भी तीन माह के नोटिस पीरियड के बाद उन्हेंं कार्यमुक्त करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, मंत्री ने उन्हेंं अभी ही कार्यमुक्त कर रिम्स के अधीक्षक डॉ. विवेक कश्यप को रिम्स निदेशक का प्रभार देने की अनुशंसा मुख्यमंत्री से कर दी, जबकि डॉ. डीके सिंह कोविड-19 महामारी के सामान्य होने तक रिम्स में ही काम करना चाहते हैं।
इंजीनियरिंग सेल को वापस लाना चाहते हैं मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री इंजीनियरिंग सेल को भवन निर्माण विभाग से वापस लाना चाहते हैं, ताकि सारे निर्माण कार्य विभाग द्वारा ही हो सके। पिछली सरकार ने सारे विभागों के निर्माण कार्यों को भवन निर्माण विभाग में समाहित कर दिया था, जिससे स्वास्थ्य विभाग में सारा ठेका-पट्टा का काम बंद हो गया है।

कोरोना से निपटने को लेकर उपकरणों की खरीद पर उठा चुके हैं सवाल
मंत्री कोरोना से निपटने को लेकर आवश्यक चिकित्सीय संसाधनों की खरीद पर भी सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने प्रधान सचिव को पीत-पत्र भेजकर इसपर रिपोर्ट मांगी थी। बताया जाता है कि प्रधान सचिव ने जवाब दिया है कि सारी खरीद नियमों के तहत ही हुई है।

मंत्री पक्ष के लिए नहीं हुए उपलब्ध

इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बात करने की कोशिश की गई लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके।

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