सैकड़ों किमी पैदल चलकर थक गया बेटा, मां ने ट्रॉली बैग पर सुलाकर खींचा

नई दिल्ली 14 मई :- एक मजदूर का देश के निर्माण और उसके विकास में अहम योगदान होता है. लॉकडाउन की वजह से कई मजदूरों का रोजगार छिन गया है. जिसके बाद से देश में लॉकडाउन की सख्ती के बावजूद मजदूरों का पलायन जारी है. मजदूर अपने घरों की तरफ मजबूरी में पलायन कर रहे हैं. कई मजदूर पैदल सड़क पर अपने घर की ओर सैकड़ों किलोमीटर चल चुके हैं और सैकड़ों किलोमीटर चलने की मन में ठान रखी है ताकि वो किसी भी तरह अपने घर पहुंच सकें.
वहीं, पैदल जाने वाले मजदूरों के कई ऐसे दृश्य देखने को मिले जिसे देख कर किसी की रूह कांप जाएगी. इसी बीच एक ऐसा वीडियो सामने आ रहा है जहां एक परिवार सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर घर जा रहा है. उस परिवार के साथ पैदल चलता बच्चा जब थक कर सो गया तो मां ने उसे ट्रॉली बैग पर रखकर खींचा. इस दृश्य को जिसने भी देखा उसका दिल पसीज गया.
बताया जा रहा है यह परिवार पंजाब से झांसी के लिए पैदल निकला है. बच्चा भी पंजाब से परिवार के साथ चला आ रहा है. उसके नन्हें कदमों ने सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली लेकिन वह जब थक गया तो ट्रॉली बैग पर सो गया. उसकी तस्वीरों को देखकर यही लगता है मानो ‘नींद ना चाहे खाट बिछौना’. जिस तरह से थका हारा बच्चा ट्रॉली बैग पर उल्टा लेटा सो रहा है मां बैग को खींच रही है और अपने गंतव्य की तरफ बढ़ रही है. इससे उनकी बेबसी का अंदाजा लगाया जा सकता है.
यह तस्वीरें आगरा के हरी पर्वत चौराहे के आसपाल की है. जहां मां रामवती बैग को खींच रही है और उस पर लेटे अपने बच्चे को साथ लेकर आगे बढ़ रही है. ना थकावट है ना रुकावट है. घूंघट के अंदर नजरों में महोबा का घर है जहां हर हाल में यह परिवार बस पहुंच जाना चाहता है. तस्वीर में दिख रही महिला का नाम रामवती और उसके पति का नाम धीरज है. महिला ने बताया कि पंजाब से झांसी के लिए पैदल निकले हैं. हम पंजाब से पैदल आ रहे हैं. हमें महोबा जाना है. हम 3 दिन से पैदल चल रहे हैं.
पलायन करने वालों को आराम से घर पहुंचने के लिए रेलगाडयि़ां और बसें चलाई जा रही हैं लेकिन इस परिवार को नहीं मालूम है कि सरकार ने घर तक पहुंचाने के लिए क्या इंतजाम किए हैं. कुल मिलाकर सरकार की तमाम मशक्कत के बाद भी सड़कों के रास्ते पैदल मजदूरों का पलायन नहीं रुक पा रहा है. इस परिवार के मुखिया धीरज का कहना है कि वह पंजाब से पैदल चले आ रहे हैं. उन्हें बुंदेलखंड के महोबा जिले तक जाना है. उन्हें प्रशासनिक व्यवस्थाओं की कोई जानकारी नहीं है.

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