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नई दिल्ली. 16 अक्टूबर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए मध्यस्थता पैनल ने बुधवार को समझौता रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया कि मुस्लिम और हिंदू पक्ष विवादित भूमि पर समझौते के लिए तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया कि मुस्लिम पक्ष विवादित भूमि से दावा छोडऩे को राजी है, लेकिन मस्जिद के लिए जगह दिए जाने के बाद।
134 साल पुराने अयोध्या विवाद मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड 58 साल से दावेदार है। ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद के संयोजक जफरयाब जिलानी से सुन्नी वक्फ बोर्ड के विवादित जमीन पर दावा छोडऩे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं।
“धार्मिक स्थलों पर 1947 से पहले की स्थिति बनाए रखने की मांग’
सूत्रों के मुताबिक, सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारुकी की ओर से श्रीराम पाँचू के माध्यम से सेटलमेंट अर्जी दायर की गई है। बोर्ड ने अयोध्या विवाद में अपना दावा वापस लेने की बात कही है। दो दिन पहले ही पांचू ने सुप्रीम कोर्ट से बोर्ड को अतिरिक्त सुरक्षा देने की मांग की थी हालांकि इसका कारण नहीं बताया गया था। बोर्ड विवादित जमीन के बदले किसी और स्थान पर वैकल्पिक जमीन देने की शर्त पर सहमत हुआ है। साथ ही बोर्ड ने देश के सभी धार्मिक स्थलों की 1947 से पहले वाली स्थिति बरकरार रखने के कानून को लागू करने की मांग की है। यह कानून नरसिम्हा राव सरकार ने 1991 में पास किया था।
अयोध्या की कुछ मस्जिदों में मरम्मत और इबादत की मांग- सूत्र
सूत्रों ने बताया- समझौता पत्र में अयोध्या की कुछ मस्जिदों की मरम्मत किए जाने और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा संरक्षित कुछ मॉन्यूमेंट्स में इबादत की अनुमति दिए जाने की मांग भी की गई है। समझौता पत्र में इन मॉन्यूमेंट्स की पहचान के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक कमेटी को गठित किए जाने की सलाह दी गई है। कोर्ट में कई पक्षकारों के हस्ताक्षरों से युक्त समझौता पत्र में अयोध्या में भाईचारा बनाए रखने के लिए सद्भावना संस्थान बनाने की सलाह भी दी गई है।