वर्ष 2012 में डॉ दिनेश षाड़ंंगी के पुत्र कुणाल षाड़ंंगी ने मारी थी एंट्री
अरुण बारिक, बहरागोड़ा-23 अगस्त कोरोना काल में बहरागोड़ा विधानसभा की राजनीति का पारा अचानक गरम हो गया है। तीन अलग-अलग पटरी पर दौड़ रही भाजपा के दो खेमे में भूचाल है। भूचाल इसलिए है क्योंकि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिनेश षाड़ंगी के पुत्र कुणाल षाड़ंंगी के स्टाइल में ही समाज सेवा रथ पर सवार होकर सांसद विद्युत वरण महतो के पुत्र कुणाल महतो ने इस विधानसभा की राजनीति में तामझाम से एंट्री मार दी है। वह भी ऐसे समय में जब इस विधानसभा क्षेत्र के विधानसभा चुनाव में भाजपा हार की हैट्रिक लगा चुकी है। बहरागोड़ा में कुणाल महतो की एंट्री की चर्चा हर किसी के जुबां पर आ गई है। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि एक कुणाल( सोनू) गया तो दूसरा कुणाल( सोनू) आ गया।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिनेश षाड़ंगी की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उनके पुत्र कुणाल षाड़ंंगी ने समाज सेवा के बहाने वर्ष 2012 दस्तक दी। दो साल तक क्षेत्र में घूम घूम कर समाज सेवा की और 2014 के विधानसभा चुनाव में अपने पिता के कंधों पर सवार होकर झामुमो प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत कर विधायक बने। कुणाल षाड़ंंगी ने भाजपा के कद्दावर नेता डॉ दिनेशानंद गोस्वामी को लगभग 15,000 मतों से पराजित किया था। यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव 2019 में कुणाल सारंगी भाजपा प्रत्याशी के रूप में रिकॉर्ड 60,000 मतों से पराजित हुए। और अब बहरागोड़ा के पूर्व विधायक और वर्तमान के सांसद विद्युत वरण महतो के पुत्र कुणाल महतो ने समाज सेवा रथ पर सवार होकर बहरागोड़ा की राजनीति में एंट्री मारी है। विदित हो कि विद्युत वरण महतो ने वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव के पूर्व बहरागोड़ा में दस्तक दी। झामुमो प्रत्याशी के रूप में वर्ष 2000 और 2004 में भाजपा के प्रत्याशी डॉ दिनेश षाड़ंंगी से चुनाव हारे। दो बार पराजय मिलने के बाद भी विद्युत वरण समाज सेवा में जुटे रहे। विधानसभा चुनाव 2009 में विद्युत वरण महतो ने भाजपा के डॉ दिनेश षाड़ंंगी को रिकार्ड 17,000 मतों से पराजित किया और विधायक बने। वर्ष 2014 और 2019 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव लड़े और सांसद बने। बहरागोड़ा विद्युत वरण महतो का कर्म का स्थल बन गया और वे यहां की राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ बन गए। एक सांसद के रूप में भी विद्युत वरण महतो की खास नजर बहरागोड़ा पर रही। यहां की राजनीति के रग रग से वाकिफ विद्युत वरण महतो के पुत्र कुणाल महतो ने समाज सेवा के बहाने यहां की राजनीति में एंट्री मार दी है। अपने पिता द्वारा तैयार की गई राजनीतिक जमीन पर समाज सेवा के माध्यम से अपनी एक पहचान बनाने और युवा वर्ग को आकर्षित करने की कवायद शुरू हो गई है। अब देखना है कि कुणाल महतो की एंट्री क्या गुल खिलाती है।