धनबाद। 1 मार्च प्रतिनिधि धनबाद कोयले की राजधानी है। कोयला तस्करी और माफिया का लिंक शुरू से यहां है।सिंह मेंशन का कभी आर्थिक साम्राज्य पर दबदबा था, अब इसका रिमोट चिटाहीधाम शिफ्ट हो गया है जिसे पूर्व सरकार का पूरी तरह वरदहस्त प्राप्त था। सिंह मेंशन के सामने तो यदा कदा उस जमाने की बिहार सरकार विरोध में रहती थी लेकिन चिटाहीधाम को सरकार से सतत संरक्षण मिला। अब हेमंत सरकार के सत्ता में आने के साथ ही टाइगर ढुलू का साम्राज्य भरभराने लगा है।
रघुवर दास के शासनकाल के अंतिम कुछ वर्षों में बंगाल के कोयला सिंडीकेट ने धनबाद को अपनी राजधानी बना ली थी । कभी अल्लाह रक्खा चर्चे में था तो अब बंगाल के ‘लाला’ ने कमान संभाल रखी थी। वह एकतरफ बंगाल की ‘दीदी’ का आशीर्वाद हासिल कर लेता है तो दूसरी ओर ‘टाइगर’ भी उस सिंडीकेट का अहम हिस्सा बन जाता है। लाला की देखरेख में एकतरफ रानीगंज, परबेलिया आदि इलाकों से कोयले की लूट जारी रही।धनबाद का कोयला भी लाला और गोयल ही खपाते और टपाते रहे। बीसीसीएल से अधिकतर विधायक ढुलू महतो के इलाके से डंके की चोट पर हाइवा की कतार लगाकर कोयले की लूट जारी रही। टाइगर के सर पर सूबे के हाकिम का हाथ था सो डर से कोयला अधिकारी आवाज नहीं निकालते थे। दूसरी ओर कोयला व्यवसायियों का एसोसिएशन चीत्कार करता रहता था। लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती थी। इस साम्राज्य के मद में यह नया माफिया छुट्टा काम करता था। तस्करी के मामले में ही जेएमएम नेता अक्षयलाल चौहान की हत्या हुई थी। कांग्रेस के नेता रोहित यादव पर बमों से हमला हुआ था।उस समय भी टाइगर का नाम सामने आया था।
अब जब तख्त और ताज बदल गए टाइगर को पिंजड़ेे में बन्द करने की कोशिशें शुरू हो गई।बचाव में टाइगर ने इसी कोल सिंडीकेट का सहारा लिया। बंगाल में टीएमसी की सरकार होने के बाद भी लाला ने गोयल की भांति उसे पनाह दी जब बंगाल में दबिश बनने लगी तब ढुलू ओडिसा कूच कर गए। पुरी में महाप्रभु का दर्शन करते उन्हें देखा गया।यह महज संयोग है कि गृहमंत्री अमित शाह भी ओडिसा के सरकारी दौरे पर थें। उन्होंने भी तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ जगन्नाथजी का दर्शन किये।
जानकार सूत्रों की माने तो ढुलू की पुरी, तारापीठ, चेन्नई समेत कई ठिकानों पर पनाह लेने की व्यवस्था है। उनके खुद के या कहिये समर्थकों के वहां होटल और बंगले आदि हैं। गृहमंत्री से उनकी क्या बात हुई, इसका खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन गिरिडीह के सांसद सीपी चौधरी ढुल्लू के बचाव में खुलकर सामने आये हैं। उन्होंने मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने का आग्रह गृहमंत्री से करने का दावा किया है।
इस बीच पुलिस की दबिश बढती जा रही है। ढुलू की तलाश में पुलिस ने उनके समर्थकों के 29 घरों में छापेमारी की तथा कभी उनके गाड़ी के चालक रहे मनोज महतो समेत 3 को गिरफ्तार किया है। उनके साथ साथ रहनेवाले रिश्तेदार किरण महतो की प्राथमिकी पर पुलिस ने ढुलू के चिटाही स्थित आवास पर नोटिस चिपकाया। एसएसपी किशोर कौशल समेत वरीय अधिकारियों ने बरोरा थाने में कल समीक्षा बैठक की थी।
दिलचस्प बात यह है कि सरकार और पुलिस के बल पर ढुलू ने जो वजूद बनाया था अब उसी पुलिस का साया उठ गया है। फिलहाल टाइगर कहे जाने वाले आदमी की हालत मेमने से भी बुरी हो गयी है। अब तक पुलिस के बल पर ही वे अपने विरोधियों का मुंह बंद कराते थे। कभी धर्मेंद्र गुप्ता को आगे कर विजय झा जैसे किसी संभ्रांत को जानलेवा हमले के आरोप में फंसाना, कभी किसी वकील को बलात्कार के आरोप में फंसाना, कभी किसी को पुलिस से पिटवाना..अनगिनत मामले हैं गिनाने के लिए। ऐसे ही मामले अब विधायक के लिए गले की फांस बन चुके हैं। खुलकर टाइगर का पक्ष पार्टी के सांसद, विधायक भी नहीं ले रहे हैं।कोयले की काली करतूतों के कारण ढुलू का नाम इतना बदनाम हो चुका है कि कोई अपने ऊपर दाग लेना नहीं चाहता है। जिन पुलिस अधिकारियों को कभी ढुलू ने पोस्टिंग कराई थी वे अधिकारी ही उनका कच्चा चि_ा सरकार को मुहैया करा रहे हैं।