प्रयागराज, 15 मई :- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान पर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। अजान तो इस्लाम का धार्मिक भाग है। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है। किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान दूसरे लोगों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट अजान के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग से सहमत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अजान इस्लाम का अहम हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी की अजान पर रोक के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने शुक्रवार को यह फैसला दिया है।
बसपा सांसद अफजाल अंसारी की याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी की अजान पर रोक के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर यह फैसला दिया है। गाजीपुर से बसपा के सांसद अफजाल अंसारी ने जिलाधिकारी के मस्जिदों मे लाकडाउन के दौरान अंजान पर लगायी रोक के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट मे याचिका दाखिल की थी। गाजीपुर के साथ ही हाथरस और फर्रुखाबाद की मस्जिदों में अजान पर लगी रोक को हटाने के लिए याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने मस्जिदों से अजान की अनुमति दी है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान की अनुमति नहीं दी गई है।
गाजीपुर की मस्जिदों में अजान पर रोक के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाजीपुर के डीएम के आदेश को रद करते हुए मस्जिदों से लाउडस्पीकर के वगैर अजान की अनुमति दे दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिदों में अजान से कोविड-19 की गाइडलाइन का कोई उल्लंघन नहीं होता। हाई कोर्ट अजान के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग से सहमत नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर से अजान पर रोक को वैध माना है।कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश का सभी जिलाधिकारियों से अनुपालन कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने अफजाल अंसारी व फर्रूखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।
याची ने लाउडस्पीकर से मस्जिद से रमजान माह में अजान की अनुमति न देने को धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने की मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर हस्तक्षेप करने की मांग की। मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर ली और सरकार से पक्ष रखने को कहा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने साफ कर दिया है कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। स्पीकर से अजान पर रोक सही है। कोर्ट ने कहा कि जब स्पीकर नहीं था तो भी अजान होती थी, इसलिए यह नहीं कह सकते कि स्पीकर से अजान रोकना अनुच्छेद 25 के धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है।