जमशेदपुर : झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री सह वर्तमान में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार के उस घोषणा पर शंका जाहिर की है, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निजी क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत नौकरी आरक्षित करने की योजना बनाई है. आज शहर पहुंचे श्री मरांडी ने स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि निश्चित रुप से झारखंडियों का ही राज्य की कंपनियों में पहला हक है, लेकिन सरकार की योजना तभी सफल मानी जाएगी, जब हकीत में इसका पालन जमीनी स्तर पर उतरकर किया जाएगा.
उन्होंने नौकरी देने में विस्थापितों को प्राथमिकता देने की वकालत करते हुए कहा कि उनकी योग्यता के आधार पर रोजगार व नौकरी दी जानी चाहिये. वैसे यह मामला सरकार के विशेषाधिकार का है, लेकिन सिर्फ बयानबाजी कर नहीं, इसे लागू कर यहां के लोगों को लाफ पहुंचाया जा सकता है. श्री मरांडी ने राज्य सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल को खोखला बताते हुए कहा कि कोरोनाकाल के बहाने अपनी नाकामी छिपा रही है. अब लॉकडाउन खत्म हो चुका है, इसके बावजूद विकास का पहिया धीरे-धीरे ही घूम रहा है. संवाददाता सम्मेलन में भाजपा जिलाध्यक्ष गुंजन यादव तथा महामंत्री अनिल मोदी भी मौजूद थे.
स्पीकर की मान्यता नहीं देना समझ से परे
महानगर के भाजपाइयों ने किया स्वागत
श्री मरांडी ने कहा कि विस में भाजपा विधायक दल के नेता के रुप में अभी तक विस स्पीकर ने मान्यता नहीं दी है, लेकिन चुनाव आयोग ने झाविमो का भाजपा में विलय को मंजूरी दे दी. यह क्यों हो रहा है, यह उनकी समझ से परे हे. उनके शहर पहुंचने पर महानगर भाजपा के कई कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. उनमें प्रदेश मंत्री रीता मिश्रा, सांसद प्रतिनिधि संजीव कुमार, संजीव सिन्हा, सुधांशु ओझा, बारी मुर्मू, जितेन्द्र राय, प्रेम झा सहित कई कार्यकर्ता मौजदू थे.