जमशेदपुर, 2 दिसंबर (रिपोर्टर): मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज के फी स्ट्रक्चर को लेकर कस्तुरबा मेडिकल कॉलेज मंगलोर के साथ जो तुलना की जा रही है उसमें कस्तुरबा मेडिकल कॉलेज को वहां की सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहा. वैसे भी मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज का फी स्ट्रक्चर अन्य निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों की तुलना में कम है. नमूने के तौर पर डी वाई पाटिल जहां पर प्रतिवर्ष 25,75,000 रुपये फी है वहीं यहां मणिपाल टाटा में 14,30,000 रुपये ही है.
कस्तुरबा मेडिकल कॉलेज की स्थापना 1953 में प्री क्लिीनिकल शिक्षा के लिए की गई और 1955 में यहां क्लिीनिकल ट्रेनिंग शुरू की गई. मंगलोर स्थित इस कॉलेज और उस वक्त की मद्रास सरकार के बीच समझौते के तहत मद्रास सरकार ने इसे मंगलोर स्थित दो अस्पतालों को क्लिीनिकल प्रशिक्षण के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराया. इन दोनों अस्पतालों में आज क्लिीनिकल ट्रेनिंग के लिए 700 बेड की सुविधा है. राज्य पुनर्गठन के बाद कर्नाटक सरकार ने भी इस समझौते को बहाल रखा. 1980 में कस्तुरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल और कस्तुरबा मेडिकल कॉलेज मंगलोर दो स्वतंत्र मेडिकल कॉलेज के रूप में स्थापित हुए. विदित हो कि 1953 में मणिपाल में इस कॉलेज का स्पीलिट कैंपस स्थापित किया गया था. 1993 में मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (माहे) डिम्ड यूनिवर्सिट के रूप में अस्तित्व में आया और उक्त दोनों कालेज उसके कांस्टुच्येंट बने. बहुत बाद में सरकार की नीति के अनुसार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की अवधारणा बनी तब से पीपीपी मोड पर यह कॉलेज सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है और राज्य सरकार अपने द्वारा दी जाने वाली सारी सुविधाएं पूर्ववत बहाल रखी हुई है. उक्त दोनों अस्पतालों से संबंधित सारा खर्च वहां की सरकार उठाती है. कस्तुरबा मंगलोर इन अस्पतालों को अपने टीचिंग अस्पताल के रूप में पीपीपी मोड पर इस्तेमाल करता है. इसके अलावे कस्तुरबा मंगलोर वहां आने वाले मरीजों की सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं के लिए जांच से लेकर इलाज तक का खर्च वहन करता है. इन सुविधाओं के आधार पर राज्य सरकार के साथ आपसी सहमति से वहां एक निश्चित संख्या में निर्धारित एमबीबीएस सीटों के लिए राज्य सरकार द्वारा तय ट्यूशन फीस ली जाती है जो 1,44,246 रुपये मात्र होती है. इस ट्यूशन फीस के अलावे उस कोटे से आने वाले छात्रों को प्रतिवर्ष अन्य सुविधाओं के लिए अलग से 1,05,000 शुल्क चुकाना पड़ता है. स्टेट कोटा से अलग एमबीबीएस सीटों पर नामांकन लेने वाले छात्रों से वहां भी प्रतिवर्ष 14,40,000 फीस ली जाती है. उल्लेखनीय है कि यह व्यवस्था कस्तुरबा मंगलोर कॉलेज पर लागू है जबकि कस्तुरबा मणिपाल पर यह व्यवस्था लागू नहीं है क्योंकि इस कॉलेज का अपना टीचिंग अस्पताल है और वहां के छात्रों को भी प्रतिवर्ष 14,40,000 फीस प्रतिवर्ष देना पड़ता है. उल्लेखनीय है कि मेडिकल छात्रों को प्रतिवर्ष देय फीस का निर्धारण सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार गठित फी फिक्सेशन कमिटी द्वारा किया जाता है. मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज प्राइवेट प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपी)मोड पर खोला गया है जिसमें माहे और टाटा स्टील लिमिटेड की भागीदारी है. यहां टीचिंग अस्पताल की व्यवस्था टाटा स्टील के टीएमएच में है. यहां कोई पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप नहीं है न ही राज्य सरकार द्वारा इसे किसी प्रकार की सहायता या छूट मिली हुई है. राज्य सरकार ने नियमानुसार सिर्फ नो आब्जेकशन सर्टिफिकेट दिया है तथापि माहे ने स्वेच्छया 25 सीटें झारखंड के छात्रों के लिए राज्य सरकार को प्रदान की है जहां नीट मेरिट लिस्ट के अनुसार नामांकन किया जाएगा. सद्भावना और राज्य के छात्रों के हित को देखते हुए माहे ने राज्य कोटे से आने वाले 25 में 14 आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए 50 प्रतिशत स्कालरशिप तथा अन्य 11 सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 25 प्रतिशत स्कालरशिप मेरिट कम मिन्स आधार पर प्रदान किया है. इसके लिए उसे धन्यवाद देने के बजाए नेताओं द्वारा बिना तथ्यों को जाने समझे अनुचित टिप्पणियां कर गलतफहमी फैलायी जा रही है. माहे इस्टूच्टूशन आफ इमिनेंस का दर्जा प्राप्त है जो भारत सरकार द्वारा निर्धारित किसी विश्वविद्यालय का सर्वोच्च स्तर है. माहे विश्वविद्यालय में 25 हजार छात्र इसके विभिन्न कैम्पस और 21 कॉलेजों में पढ़ते हैं. एनआईआरएफ ने माहे को यूनिवर्सिटी कैटेगरी में 8वां ओवर ऑल 14वां स्थान दिया है. क्यूएस ने माहे की रैकिंग प्रतिष्ठित वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 में 751-800 रेंज में रखा है, जबकि फार्मेसी सब्जेक्ट रैंकिंग में 151-200 रेंज में और मेडिकल सब्जेक्ट रैंकिंग में 351-400 रेंज में रखा है. नैक एक्रीडिशन में इसे ए ग्रेड का दर्जा प्राप्त है.
निजी क्षेत्र के अन्य मेडिकल कॉलेजों में एसआरएम की फीस 22,50,000, श्रीराम चंद्रा मेडिकल कॉलेज की 22,00,000, दत्ता मेघे का 20,50,000, अमृता विश्व विद्यापीठम में 18,00,000, इस्टूच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एवं एसयूएम अस्पताल में 17,90,000, कलिंग इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में 16,00,000 फीस है. मणिपाल टाटा में 14,30,000 है. झारखंड के नेता सरकार द्वारा पिछले वर्ष स्थापित तीन मेडिकल कॉलेजों पलामू, दुमका एवं हजारीबाग में इस वर्ष साधन-सुविधाओं के अभाव में रोके गए 100-100 सीटों कुल 300 सीटों पर नामांकन को बहाल कराने के लिए कुछ नहीं कर रहे जो उनका दायरा है. इसके उलट मेडिकल शिक्षा सुविधा को झारखंड में बढ़ाने के इस निजी प्रयास को हतोत्साहित करने पर लगे हैं.