भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई जारी रहेगी : सरयू

धनबाद निगम के मामले में एसीबी हर पहलु पर जांच करे

हेमंत अच्छा काम कर रहे हैं , मैनहर्ट पर राय की किताब शीघ्र

कतरास ( धनबाद) :- निर्दलीय विधायक और सूबे के पूर्व सीएम रघुवर दास को परास्त कर पूरे देश में चर्चा में आनेवाले सरयू राय ने कहा कि सभी आज़ादी मांगते हैं, वे तो आज़ाद कर दिए गए हैं, इसलिए किसी दल में जाने का इरादा नहीं है। निर्भीक और निष्पक्ष तरीके से जनसरोकार से जुड़े रहकर वे अपनी मुहिम जारी रखेंगे।।
श्री राय बियाडा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार झा के रानीबाजार स्थित आवास में ख़ास बातचीत कर रहे थे। मौके पर श्री झा के अलावा प्रसिद्ध अधिवक़्ता राजीव कुमार,जनसभा के महासचिव पंकज यादव, डॉ शिवानी झा, डॉ नेहा, कृष्णा अग्रवाल, मुकेश सिंह, उदय कुमार सिंह, गौतम मंडल , प्रतीक शर्मा समेत अन्य उपस्थित थे।

राय ने कहा कि किसी दल में क्यों सीधे भाजपा में जाने के बारे में पूछिये, लेकिन ऐसा कोई इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार की कारगुज़ारियों पर वे चुप नहीं है लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जनजागरण भी ज़रूरी है। सिर्फ़ एक ही व्यक्ति बोले तो अति लगता है। अति सर्वत्र वर्ज्यते उक्ति कहते हुए उन्होंने कहा कि इसीलिए बुद्ध ने कहा है कि ऐसे समय मध्य मार्ग अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ एक एजेंडे मैनहर्ट पर उनकी रिपोर्ट पर जांच हो जाए तो कई की कलई खुल जाएगी। इस पर उनकी लिखी तकरीबन 150 पन्ने की पुस्तक शीघ्र प्रकाशित होनेवाली है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार अच्छा कार्य कर रही है। अभी कोरोना संकट के समय योजनाएं बनाने और चलाने का अवसर उन्हें नहीं मिला है। धनबाद नगर निगम के मामले एसीबी जांच पर उन्होंने कहा कि हर पहलु पर एसीबी को जांच में ध्यान देना होगा। बाघमारा के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुराना मामला है। कानून अपना काम जर रहा है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक अपराध, आउटसोर्सिंग और गोरखधंधे के कारण कोलफील्ड की हालत बिगड़ी है। कोयला साफ सुथरे तरीके से दोहन हो।
आउटसोर्सिंग के नाम पर जिस तरह नदियां लूटी जा रही हैं।।पर्यावरण को चौपट किया जा रहा है। यह लोगों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ है। किसी भी सचेतन नागरिक को यह बर्दाश्त नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि अन्य योजनाओं को बन्द कर ‘योजना अवकाश’ घोषित करे। फण्ड को डायवर्ट कर लोगों के पहुंचाए , तभी बाज़ार के चेहरे में रौनक आएगी।
उन्होंने कहा कि यह अज़ीब दौर है। जो काम कार्यपालिका को करना चाहिए , इसके लिए भी लोगों को न्यायपालिका से आस लगाना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय एक लाभ यह हुआ कि नदियां भी साफ़ हो गई। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि एक तरफ नदियों को साफ़ करने के लिए बेमतलब की योजनाएं सरकार बनाती है, जबकि नदियां खुद को साफ़ कर लेती है। सरकार को सिर्फ़ यह करना चाहिए कि लोग नदियों को कचड़ा फेंकने का डम्प न बनाएं।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय समाज ने बता दिया है कि वह युद्धकालीन तैयारी के साथ कोरोना के खिलाफ़ फाइट कर रहे हैं। यह जज़्बा आसान नहीं है।

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