धनबाद, जेएनएन। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका विधानसभा सीट से इस्तीफा देने की घोषणा नहीं की है। उनहोंने ने सोमवार को झारखंड विधानसभा में बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक के रूप में शपथ ली। यह साफ संकेत है कि मुख्यमंत्री दुमका विधानसभा सीट से इस्तीफा दे देंगे। वह विधानसभा में बरहेट क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे। इसी के साथ दुमका विधानसभा क्षेत्र में शीघ्र ही उप चुनाव की चर्चा शुरू हो गई है। उप चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से प्रत्याशी के रूप में तीन नाम राजनीतिक हलकों चल पड़ा है-झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन और मुख्पयमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन।
इसलिए हेमंत ने बरहेट से ली सदस्यता
झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था-बरहेट और दुमका। दोनों सीटों पर जीत दर्ज की। सोमवार को झारखंड विधानसभा में शपथ ग्रहण समारोह शुरू हुआ तो हेमंत ने बरहेट से विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। नियमानुसार सदन में कोई भी व्यक्ति एक ही क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सकता है। ऐसे में हेमंत सोरेन शीघ्र ही दुमका विधानसभा सीट से इस्तीफा देने की घोषणा कर सकते हैं। साहिबगंज जिले की बरहेट विधानसभा क्षेत्र को प्राथमिकता देने के पीछे राजनीतिक समीकरण महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन ने 2014 में दुमका के साथ ही बरहेट से भी विधानसभा चुनाव लड़ा था। दुमका की जनता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नकार दिया। दुमका से हार मिली। बरहेट से चुनाव जीतकर हेमंत विधानसभा पहुंचे। 2019 के चुनाव में हेमंत ने जोखिम नहीं लिया। बरहेट के साथ ही दुमका से भी चुनाव लड़ा। अबकी दोनों स्थानों पर जीत मिली। हालांकि जीत का अंतर बरहेट में ज्यादा रहा। बरहेट में आदिवासी और अल्पसंख्यक मतदाताओं का समीकरण हेमंत सोरेन के लिए मुफीद है। इसलिए उन्होंने दुमका के बजाय विधानसभा में बरहेट के प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी है।
बसंत की राजनीतिक महत्वाकांक्षा जगजाहिर
हेमंत के बरहेट से शपथ लेने की घोषणा के साथ ही राजनीतिक हलकों में दुमका में उप चुनाव की चर्चा शुरू हो गई है। छह महीने के अंदर उप चुनाव हो सकता है। ऐसे में दुमका सस्पेंस वाली सीट बन गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन क्या करेंगे? अपने पिता झामुमो अध्यक्ष हेमंत सोरेन, अपने छोटे भाई बसंत सोरेन या अपनी पत्नी कल्पना सोरेन में से किसे दुमका उप चुनाव लड़ाएंगे? क्या परिवार से बाहर किसी सामान्य कार्यकर्ता को दुमका के मैदान में उतारेंगे? हेमंत सोरेन की अगली रणनीति क्या होगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन उप चुनाव को लेकर राजनीतिक अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। दुमका से बसंत सोरेन के नाम की चर्चा इसलिए है कि उनकी भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। वे 2016 में राज्यसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए। झारखंड विधानसभा चुनाव- 2019 के समय भी बसंत के नाम की चर्चा दुमका से थी। हालांकि हेमंत सोरेन ने खुद चुनाव लड़ा। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और हेमंत के पिता शिबू सोरेन को 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसी कारण उनके नाम की भी चर्चा हो रही है।