फोन टैपिंग में एफआईआर आईपीएस, डीएसपी, इंस्पेक्टर पर आरोप

रांची19 जुलाई :- झारखंड में फोन टैपिंग का कल पहला एफआईआर डोरंडा थाना में हुआ है और इसमें एक एसपी सहित कुछ पुलिसकर्मी अभियुक्त बनाये गये हैं। पिछले ही दिनों विधायक सरयू राय ने झारखंड में फोन टैपिंग और उनकी खुफियागिरी को लेकर मामला जोर शोर से उठाया था। हलांकि उनका मामला पूर्व सरकार के मुखिया और एक बड़े अधिकारी को लेकर था। आज श्री रायने कहा कि अभी प्राथमिकी नहीं देखी है, लेकिन वे यही चाहते हैं कि यह बात सामने आये कि किस बड़े जिम्मेदार पदाधिकारी और व्यक्ति के कहने पर यह सब होता था। पुलिस अनुसंधान उनतक पहुंचना चाहिये और उन्हें बेनकाब कर कार्रवाई की जानी चाहिये।
बताया जाता है कि कुछ पुलिसकर्मियों को पशु तस्कर बताकर सीआईडी में फोन टैपिंग की जा रही थी । मामले में सीआईडी डीएसपी रंजीत लकड़ा की शिकायत पर शनिवार को राजधानी रांची के डोरंडा पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। सीआईडी पूर्व में सीआईडी एसपी रहे मनोज रतन चोथे, डीएसपी विनोद रवानी व इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू और समेत कई पुलिसकर्मियों को अभियुक्त बनाया गया है। डोरंडा पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 189/20 के तहत दर्ज प्राथमिकी में धारा 166,167,418 और 120 आइपीसी लगाया गया है।
प्राथमिकी में अवैध तरीके से फोन टैपिंग का आरोप लगाया है जिसमेें कहा गया है कि आरोपितों ने राज्य के तीन पुलिस अफसरों (ऑफिसर इंचार्ज व कांस्टेबल) को पशु तस्कर बताकर उनका फोन टेप किया। सीआइडी की टेक्निकल सेल में इन सभी पुलिसकर्मियों के फोन सुने गये। इनमें सरायकेला-खरसांवा के तत्कालीन चौका पुलिस स्टेशन ओसी रतन कुमार, चुटिया के रंजीत सिंह व कांस्टेबल मोहम्मद इरफान शामिल हैं। अब पुलिस जांच में यह खुलासा होगा कि किसके इशारे में अवैध तरीके से फोन टैपिंग कर रहे थे। इस कार्य में उनके साथ-साथ और किसकी मिलीभगत है।आज डीजी ने बताया कि मामले में आगे की कार्रवाई पूरी की जाएगी।
होम डिपार्टमेंट को दी थी गलत जानकारी
सीआइडी के तत्कालीन एसपी मनोज रतन चोथे व डीएसपी विनोद रवानी के हस्ताक्षर से यह जानकारी दी गई थी कि तीन पशु तस्करों की फोन टैपिंग करनी है। पशु तस्करों के रूप में दो तीन पुलिसकर्मियों नाम देकर अनुमति ली गयी। तीनों का फोन टैप किया गया। सीआईडी के तत्कालीन एसपी मनोज रतन चौथे और डीएसपी विनोद रवानी के साइन से होम डिपार्टमेंट को फोन टेप करने की अनुशंसा पत्र होम में जाता था। नियमानुसार किसी भी फोन टैपिंग के पूर्व होम डिपार्टमेंट को डिटेल जानकारी देनी पड़ती है।
एडीजी बनने के बाद अनिल पालटा ने कराई थी जांच
सीआइडी का एडीजी बनने के बाद अनिल पालटा को जानकारी मिली थी कि सीआइडी में अवैध तरीके से फोन टैपिंग होता था। डीजीपी एमवी राव के निर्देश पर एडीजी अनिल पाल्टा ने पूरे मामले की जांच कराई। जांच में इसका खुलासा हुआ था। एडीजी ने पुलिस हेडक्वार्टर व होम डिपार्टमेंट को यह रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट की रिव्यू के बाद मामले में शामिल पुलिस अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया। पुलिस जांच में खुलासा होगा कि किसके इशारे पर अवैध तरीके से फोन टैपिंग होती थी।
धनबाद के एसपी के रुप में मनोज रतन चोथे का कार्यकाल बड़ा ही रंगीन और दागदार रहा। कोयला का अवैध कारोबार चलवाने में भी नाम लिया जाता था। जब उन्हें बदलने की चर्चा होती थी तो अपने आका की मदद से ंसभावित चिन्हित पदाधिकारी का किसी से निजी बात टैप कराकर बम फोड़ देते थे। बहुत संभव है कि उस व्यक्ति को वे कोयला तस्कर बताकर उसका फोन टैप करने की अनुमति मंगा लेते होंगे। इस खेल में महकमा उलझ जाता था। और उनकी पोस्टिंग बच जाती थी। सरयू राय ने उस आका तक पहुंचने की मांग की है।

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