पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर मोल्डो में सोमवार को हुई भारत-चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत सकारात्मक रही है। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख से पीछे हटने पर सहमति जताई है।भारतीय सेना ने मंगलवार को कहा, ‘कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता भारत-चीन के बीच सोमवार को सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल संपन्न हुई। दोनों देशों की सेनाओं ने सहमति जताई है कि वे पीछे हटेंगी।’ वहीं, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे मंगलवार को लद्दाख पहुंच हुए हैं। वह 14 कोर अधिकारियों के साथ जमीनी स्तर पर स्थिति और चीनी सेना के साथ वार्ता में प्रगति की समीक्षा करेंगे। बातचीत से पहले सेना प्रमुख लेह के उस अस्पताल पहुंचे जहां चीन के साथ झड़प में घायल सैनिकों को भर्ती किया गया है। सेना प्रमुख ने जवानों से बातचीत की और उनका हालचाल जाना। सेना प्रमुख मंगलवार और बुधवार को दोनों दिन लद्दाख में चीनी सेना के साथ चल रहे छह हफ्ते के गतिरोध पर वहां तैनात कमांडरों के साथ चर्चा करेंगे।
भारत और चीन के बीच सोमवार को कॉर्प्स कमांडर स्तर की मैराथन बातचीत हुई थी। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच तकरीबन 12 घंटे तक चली इस बैठक में सीमा पर जारी तनाव को कम करने को लेकर बात की गई थी। भारत ने चीनी सैनिकों से उसी स्थान पर वापस जाने को कहा, जहां पर वे अप्रैल महीने की शुरुआत में थे।
इस बैठक से परिचित दो अधिकारियों ने बताया था कि भारत ने चीनी पक्ष से सीमा पर चल रहे तनाव को खत्म करने को लेकर आश्वासन की मांग की है। उन्होंने कहा था कि इस बातचीत का उद्देश्य फिंगर एरिया, गोगरा पोस्ट-हॉट स्प्रिंग्स और गलवान घाटी में पहले की यथास्थिति को बहाल करना था।
गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद और बढ़ गया था तनाव
लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले हफ्ते के सोमवार को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव हो गया था, जिसके बाद सीमा पर तनाव में बढ़ोतरी हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे और चीन के 40 से अधिक जवान मारे गए थे। इसमें चीन का कमांडर भी शामिल था। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच लगातार तनाव कम करने को लेकर एलएसी पर बातचीत का दौर जारी है।