रवि सेन
चांडिल: चांडिल प्रखड क्षेत्र के अति नक्षल प्रभावित हेंसाकोचा पंचायत के मध्य विद्यालय माचाबेड़ा आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोशों दुर है. वही सरकार के लाख बीकास के वादे खोखला सावित हो रहा है और खामियजा आम जनता भुगत रहा है. देष के भविष्यत कहे जाने बाले बच्चो को गुणवत्ता पुर्ण षिक्षा भी नही मिल पा रहा है जीसका जीता जागता उदाहरण चांडिल के माचाबेड़ा में देखने को मिल रहा है. वही सरकार सरकारी विद्यालय को मोडल बनाने के लीए प्रत्येक वर्ष करोड़ो रुपया खर्च कर रहा है परंतु विद्यालय को मोडल करने के लीए पहुंच रहे रुपये का आखीरकार क्या हो रहा है जो सवालिया निषान खड़ा कर रहा है ? कही षिक्षक के मिलीभगत से सरकार के पास से बच्चो के उज्जवल भविष्य के लीए पहुंच रहे बीकास के पैसा को बंदरवांट तो नही हो रहा है. वही विद्यालय मे वर्ग एक से वर्ग आठ तक पड़ाई होती है जिसमे कुल 35 बच्चे नामांकित है. विद्यालय में दो सरकारी व जक पारा शिक्षक कार्यरत है. इस विद्यालय में न ही पक्का भवन है और न ही कोई मौलिक सुविधाएं. वही बच्चों को बैठने के लिए दरी भी उपलब्ध नही है बच्चे बोरा में बैठकर पड़ाइ्र करते है. झारखंड अलग होने के 19 वर्ष में भी यह स्कूल सरकारी सुविधाओं से बंचीत है. टुटे फुटे खपङेल के कच्चा मकान पर कक्षाएं संचालित होता है. विद्यालय मे मध्यान्ह भोजन भी मेनु के आधार पर उपलब्ध नही होता. वही विद्यालय में बच्चे खुद मध्यान्ह भोजन बनाकर खाते हैं. सरकारी शिक्षक भी कभी कभार विद्यालय पहुंचते हैं. आज के इस हाईटेक युग में माचाबेड़ा मध्य विद्यालय भगवान भरोसे विद्यालय के बच्चे पड़ाई करते नजर आते है. सरकार विद्यालयों का संचालन में कर रही सुविधाएं भी बच्चों को प्राप्त ही नही होता. ऐसे यह सुनने में लोगों को विश्वास ही नही होगा मगर सच यही है.
इस विद्यालय के संबंध में प्रखंड षिक्षा पदाघिकारी कानन कुमार पात्रा से पुछे से जाने पर उन्होने बताया कि यह बात मेरा संज्ञान में नही है. अगर विद्यालय में कोई अनियमीत्ता है तो मै कल ही संवंघित सीआरपी से बात कि जानकारी लुंगा. उन्होने कहा आवष्यकता पड़ने पर मै स्वंय विद्यालय का निरीक्षण कर स्थिती का जांच करुंगा दोषी पाये जाने पर कानुन के तहत कारवाई किया जाएगा.