दीवाली हिन्दुओं के सबसे प्रमुख और बड़े त्योहारों में से एक है. यह खुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का द्योतक है. रोशनी का यह त्योहार बताता है कि चाहे कुछ भी हो जाए असत्य पर सत्य की जीत अवश्य होती है. मान्यता है कि रावण की लंका का दहन कर 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम अपने घर लौटे थे. इसी खुशी में पूरी प्रजा ने नगर में अपने राम का स्वागत घी के दीपक जलाकर किया. राम के भक्तों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर दिया था. दीवाली के दिन को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है. वहीं, यह भी माना जाता है कि दीवाली की रात को ही मां लक्ष्मी में भगवान विष्णु से शादी की थी. इस दिन श्री गणेश, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की पूजा का विधान है. मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है. हिन्दुओं के अलावा सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी दीवाली धूमधाम से मनाते हैं.
दीवाली कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार दीवाली या दीपावली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार दीवाली हर साल अक्?टूबर या नवंबर महीने में आती है. इस बार दीवाली 27 अक्टूबर को है.
दीवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त
दीवाली / लक्ष्मी पूजन की तिथि: 27 अक्टूबर 2019
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 27 अक्टूबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 अक्टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक
लक्ष्मी पूजा मुहुतर्: 27 अक्टूबर 2019 को शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक
कुल अवधि: 01 घंटे 30 मिनट
दीवाली पूजन की सामग्री
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ.
लक्ष्मी पूजन की विधि
धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है. दीवाली के दिन इस तरह करें महालक्ष्?मी की पूजा:
मूर्ति स्थापना: सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्?मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्?चारण करें.
? अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा । य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
धरती मां को प्रणाम: इसके बाद अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए दिए गए मंत्र का उच्?चारण करें.
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
? पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्?णुना धृता ।
त्?वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम: ।।
आचमन: अब इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए गंगाजल से आचमन करें.
? केशवाय नम:, ? नारायणाय नम: ? माधवाय नम:
ध्?यान: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का ध्यान करें.
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,
गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।
या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितै: स्?वापिता हेम-कुम्भै:,
सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता ।।
आवाह्न: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्?मी का आवाह्न करें.
आगच्?छ देव-देवेशि! तेजोमय?ि महा-लक्ष्?मी !
क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !
।। श्रीलक्ष्?मी देवीं आवाह्यामि ।।
पुष्?पांजलि आसन: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए हाथ में पांच पुष्?प अंजलि में लेकर अर्पित करें.
नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम् ।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्यर्थं प्रति-गह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी-देव्?यै आसनार्थे पंच-पुष्?पाणि समर्पयामि ।।
स्वागत: अब श्रीलक्ष्मी देवी ! स्?वागतम् मंत्र का उच्?चारण करते हुए मां लक्ष्मी का स्वागत करें.
पाद्य: अब इस मंत्र का उच्?चारण करते हुए मां लक्ष्?मी के चरण धोने के लिए जल अर्पित करें.
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !
भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्?मी ! नमोह्यस्?तुते ।।
।। श्रीलक्ष्मी-देव्?यै पाद्यं नम:
अर्घ्य: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी को अर्घ्य दें.
नमस्?ते देव-देवेशि ! नमस्?ते कमल-धारिणि !
नमस्?ते श्री महालक्ष्मी, धनदा देवी ! अर्घ्यं गृहाण ।
गंध-पुष्?पाक्षतैर्युक्?तं, ् ।
गृहाण तोयमर्घ्?यर्थं, परमेश्?वरि वत्?सले !
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अर्घयं स्वाहा ।।
स्नान: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं. फिर दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण यानी कि पंचामृत से स्?नान कराएं. आखिर में शुद्ध जल से स्?नान कराएं.
गंगासरस्?वतीरेवापयोष्?णीनर्मदाजलै: ।
स्?नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्?व मे ।।
आदित्?यवर्णे तपसोह्यधिजातो वनस्?पतिस्?तव वृक्षोह्यथ बिल्?व: ।
तस्?य फलानि तपसा नुदन्?तु मायान्?तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्?मी: ।
।। श्रीलक्ष्?मी देव्?यै जलस्?नानं समर्पयामि ।।
वस्?त्र: अब मां लक्ष्?मी को मोली के रूप में वस्?त्र अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्?चारण करें.
दिव्?याम्?बरं नूतनं हि क्षौमं त्?वतिमनोहरम् ।
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतो सुराष्?ट्रेह्यस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै वस्त्रं समर्पयामि ।।
आभूषण: अब इस मंत्र का उच्?चारण करते हुए मां लक्ष्?मी को आभूषण चढ़ाएं.
रत्?नकंकड़ वैदूर्यमुक्?ताहारयुतानि च ।
सुप्रसन्?नेन मनसा दत्तानि स्?वीकुरुष्?व मे ।।
क्षुप्तिपपासामालां ज्?येष्?ठामलक्ष्?मीं नाशयाम्?यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात् ।।
।। श्रीलक्ष्?मी देव्?यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर: अब मां लक्ष्?मी को सिंदूर चढ़ाएं.
? सिन्?दुरम् रक्?तवर्णश्च सिन्?दूरतिलकाप्रिये ।
भक्?त्या दत्तं मया देवि सिन्?दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै सिन्दूरम् सर्पयामि ।।
कुमकुम: अब कुमकुम समर्पित करें.
? कुमकुम कामदं दिव्?यं कुमकुम कामरूपिणम् ।
अखंडकामसौभाग्?यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्?मी देव्?यै कुमकुम सर्पयामि ।।
अक्षत: अब अक्षत चढ़ाएं.
अक्षताश्च सुरश्रेष्?ठं कुंकमाक्?ता: सुशोभिता: ।
मया निवेदिता भक्?तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्?मी देव्?यै अक्षतान् सर्पयामि ।।
गंध: अब मां लक्ष्मी को चंदन समर्पित करें.
श्री खंड चंदन दिव्यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।
विलेपनं महालक्ष्?मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।
।। श्रीलक्ष्?मी देव्?यै चंदनं सर्पयामि ।।
पुष्प: अब पुष्प समर्पिम करें.
यथाप्राप्तऋतुपुष्पै:, विल्वतुलसीदलैश्च ।
पूजयामि महालक्ष्मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै पुष्पं सर्पयामि ।।
अंग पूजन: अब हर एक मंत्र का उच्चारण करते हुए बाएं हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्?मी की प्रतिमा के आगे रखें.
? चपलायै नम: पादौ पूजयामि ।
? चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि ।
? कमलायै नम: कटिं पूजयामि ।
? कात्?यायन्?यै नम: नाभि पूजयामि ।
? जगन्?मात्रै नम: जठरं पूजयामि ।
? विश्?व-वल्?लभायै नम: वक्ष-स्?थलं पूजयामि ।
? कमल-वासिन्?यै नम: हस्?तौ पूजयामि ।
? कमल-पत्राक्ष्?यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि ।
? श्रियै नम: शिर पूजयामि ।
– अब मां लक्ष्मी को धूप, दीपक और नैवेद्य (मिष्ठान) समपर्ति करें. फिर उन्हें पानी देकर आचमन कराएं.
-इसके बाद ताम्बूल अर्पित करें और दक्षिणा दें.
– फिर अब मां लक्ष्मी की बाएं से दाएं प्रदक्षिणा करें.
– अब मां लक्ष्मी को साष्टांग प्रणाम कर उनसे पूजा के दौरान हुई ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए माफी मांगे.
– इसके बाद मां लक्ष्मी की आरती उतारें