डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन का खेल-6 अमन कम्प्युटर्स कौन, एसके महतो के माथे पर एक जूनियर को बैठाने का क्या राज

आदिवासी बहुल झारखंड के एकमात्र एस टी प्राचार्य नटवा हांसदा को क्यों हटाया
जमशेदपुर, 5 अगस्त : विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग के डायरेक्टर इतनी उच्च तकनीकी शिक्षा का पोषण करते हैं या बम्बइया फिल्म की पटकथा निर्देशित करते हैं, सहसा उनके कार्यकाल में चल रहे अंधेरगर्दी और भ्रष्टाचार के खेल से यह किसी को भ्रम हो सकता है.
बताया जाता है कि 2006 में योगदान करने के बाद निदेशक, विज्ञान एवं प्रावैधिकी के रूप में डा अरूण कुमार लगभग सभी 13 (अब 17) पोलिटेक्निक संस्थानों के प्रभारी प्राचार्यों पर दबाव बनाकर अपने एक सगे की सैनिक मार्केट, मेन रोड रांची स्थित दुकान से कम्प्यूटर एवं अन्य संबद्ध सामानों की खरीद करने के लिए बाध्य करते आ रहे हैं जबकि उक्त दुकान द्वारा डुप्लीकेट कम्प्यूटर एवं पेरिफेरल्स की आपूर्ति करने की शिकायत रिकार्ड में है. अद्यतन जानकारी के अनुसार यह भी चर्चा है कि निदेशक के पुत्र का उस दुकान से क्या संबंध है, इसकी जांच की मांग उठायी गयी है. एक शिकायत पर जांचोपरांत सरकार, विभाग ने वर्ष 2019 में अमन कम्प्युटर्स से किसी भी प्रकार के क्रय और उसको भुगतान पर रोक लगा दी. कई संस्थानों में अभी भी अमन कम्प्युटर्स के करोड़ों रुपयों के बिल बाकी हैं.
लेकिन अब इसका रास्ता निकालने के लिए निदेशक ने एक और कुचक्र चला दिया और कुछ दिन पहले ही अपने चहेते मनपसंद जूनियर व्याख्याताओं को वैसे संस्थानों में प्रभारी बनाने का प्रस्ताव सरकार को दिया. यहीं वे अनधिकृत और अनियमित ढंग से बहैसियत एचओडी और डीईसी (डिपार्टमेंटल एस्टेबलिशमेंट कमेटी) का सदस्य होने का लाभ उठाते हैं.
बताया जाता है कि 4 नए पोलिटेक्निक में लगभग 20 करोड़ रु. की खरीद होनी थी, जिसमें 5 करोड़ रु. का कम्प्यूटर क्रय होना था. इसके लिए मनमाफिक प्राचार्यों का सहयोग होना चाहिए था. रांची के उक्त फर्म ने जिसमें निदेशक पुत्र की सहभागिता है, लाबिंग कर सिमडेगा के प्राचार्य का विकेट गिरा दिया है क्योंकि वे लेन-देन में सहायक नहीं होते थे. आश्चर्य है कि आदिवासी बहुल झारखंड राज्य में वे एकमात्र एसटी प्रिंसिपल नटवा हांसदा थे. श्री हांसदा को हटाकर रांची महिला पोलिटेक्निक के प्राचार्य अयोध्या कुमार को सिमडेगा का दोहरा प्रभार दिलाने के पीछे क्या मकसद हो सकता है, सहज अनुमान लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं इस अयोध्या कुमार को चारों नए संस्थानों में 20 करोड़ की राशि के क्रय के लिए समिति बनाकर उसका हेड बना दिया और केंद्रीयकृत क्रय की एक नयी प्रक्रिया प्रारंभ कर दी. इस निर्णय से क्षुब्ध होकर अयोध्या कुमार से काफी सीनियर जगन्नाथपुर के प्राचार्य एसके महतो एवं प्राचार्य पद से हटाए गए वरीय शिक्षक नटवा हांसदा ने तत्कालीन मंत्री से शिकायत भी की. एस के महतो से जगनाथपुर पॉलिटेक्निक का प्रभार लेकर खरसावां के प्राचार्य को दोहरा चार्ज दे दिया जो उनसे जूनियर थे। इस प्रकार उत्पीडि़त प्राचार्य एसके महतो की पत्नी ने अपने पति के साथ हो रहे मानसिक उत्पीडऩ के विरुद्ध सचिव को लगभग 150 पन्नों के अनुलंग्नक के साथ शिकायत पत्र भी भेज रखा है जिसे सचिव के कार्यालय में दबा दिया गया है.
पता चला है कि इस कथित आरएसएस बैकग्राउंड से प्राचारित निदेशक की किन्हीं कारणों से नये सचिव के साथ खूब पट रही है जिससे वे अपनी इच्छा के अनुरूप किसी भी प्रकार का काम करा ले रहे हैं. वैसे भी सचिव महोदय दोहरे प्रभार में है और अरूण कुमार के डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन होने के स्वयंभू एचओडी होने के नाते उन पर निर्भरता कुछ ज्यादा ही हो गयी है. हरियाणा के एक कंप्यूटर सप्लायर को कैसे हटाया इसकी भी खूब चर्चा है.

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