जमशेदपुर: टाटा मोटर्स के कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है कि तीसरी तिमाही (2019-20) के अक्टूबर माह में जमशेदपुर प्लांट में डिमांड बढ़ी है। सितंबर माह में केवल तीन हजार गाडिय़ों की डिमांड थी। दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में केवल 10 हजार गाडिय़ां ही बनीं, जो एक माह से भी कम का उत्पादन आंकड़ा है। प्रबंधन के सूत्रों का कहना है कि डिमांड बढऩे से अक्टूबर माह के बाद उत्पादन की स्थिति सुधरेगी और कंपनी के कर्मचारियों के साथ ही स्मॉल पाट्र्स बनाने वाली कंपनियों के शटर भी खुलेंगे।
हर महीने 11 हजार गाडिय़ां बनाने का है लक्ष्य
दूसरी तिमाही में डिमांड में आई कमी के बाद टाटा मोटर्स के बाई सिक्स कर्मियों के साथ ही आदित्यपुर स्थित एंसीलियरी के ऑर्डर भी कम हो गए हैं। प्रबंधन के सूत्रों का कहना है कि ऑर्डर बढऩे से जमशेदपुर प्लांट में कर्मचारियों को वापस बुलाया जाएगा। यही नहीं अक्टूबर माह में क्लोजर भी कम रहेगा। वैसे इस माह दुर्गा पूजा और दीपावली होने की वजह से छुट्टी भी रहेगी। टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में इस वित्तीय वर्ष में गाडिय़ों के बनाने का लक्ष्य एक लाख 38 हजार के करीब है। यानी एक माह में 11 हजार गाडिय़ां बनाने का लक्ष्य है, लेकिन छह माह में केवल 35 हजार (लगभग) गाडिय़ां ही बनी हैं। अब देखना है कि तीसरी और चौथी तिमाही में जमशेदपुर प्लांट में उत्पादन कैसा रहता है। पिछले वित्तीय वर्ष में जमशेदपुर प्लांट में एक लाख 10 हजार गाडिय़ां बनी थीं।
ग्रेड-बोनस की राशि मिलने पर टाटा मोटर्स कर्मियों पर बढ़ेगा कर का बोझ, अधिकतर 20′ स्लैब में आएंगे
टाटा मोटर्स में ग्रेड और बोनस के पैसे एक साथ मिलने पर कर्मचारियों पर कर का बोझ बढऩे जा रहा है। एक ही वित्तीय वर्ष में कर्मचारियों को पांच लाख से ज्यादा राशि मिलने पर वे 20 फीसदी कर के स्लैब में आ रहे हैं। टाटा मोटर्स के पांच हजार स्थायी कर्मचारियों को औसतन साढ़े पांच लाख रुपए वेतन मद में मिलते हैं। इस वित्तीय वर्ष में वेतन मद के अलावा लगभग 40 हजार रुपए बोनस की राशि और 42 हजार रुपए ग्रेड के एरियर के रूप में मिलेंगे। 82 हजार रुपए की अतिरिक्त राशि मिलने के बाद सारे स्थायी कर्मचारियों का वेतन बढ़ जाएगा और वे पांच लाख से ऊपर के स्लैब में आ जाएंगे।