जमशेदपुर : कोविड-19 महामारी के चलते जारी लॉकडाउन में शहर के छोटी-बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों पर घातक असर दिखने लगा है। कंपनी प्रबंधन द्वारा वेतन कटौती, कर्मचारियों की छंटनी शुरू हो चुकी है। इसी कड़ी में आज शनिवार को टाटा कमिंस के जमशेदपुर प्लांट ने अपने प्रशिक्षु कर्मचारी एफटीसी को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। करीब डेढ़ सौ इन प्रशिक्षु कर्मचारियों जिसमें महिला व लड़की भी शामिल रहे को कल शुक्रवार को सभी के मोबाइल पर मैसेज भेज कर निकालने की सूचना दी। इसके बाद आज सभी कर्मचारियों को कंपनी में बुलाकर एक कागज पर हस्ताक्षर करा कर औपचारिक रूप से बाहर करना चाह रहा था। परंतु कर्मचारियों ने उस फार्म पर हस्ताक्षर करने से इनकार करते हुए कंपनी गेट पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन की सूचना पाकर अधिकारियों के कान खड़े हो गए। कई अधिकारी गेट पर पहुंच कर प्रशिक्षु कर्मचारियों को समझाने की कोशिश करने लगे। अधिकारियों का कहना था लॉकडाउन के कारण कंपनी का उत्पादन पूरी तरह बंद है। इसीलिए आपको निकाला हमारी मजबूरी है। बावजूद इसके आपकी बातों को उच्च अधिकारियों के पास रखा जाएगा। इधर प्रशिक्षु कर्मचारियों का कहना था कि अभी 3 से 4 महीना ही हुए हैं प्रशिक्षण पूरा करा लें ताकि प्रमाण पत्र के साथ ही भोजन चल सके। कई कर्मचारी झारखंड से बाहर के भी हैं जो इस लॉकडॉन में घर नहीं जा पाएंगे। कर्मचारियों ने बताया कि घर का किराया भी नहीं दे पा रहे हैं। भोजन बहुत मुश्किल से चल रही है। इससे भी अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा।
वार्ता में अधिकारियों ने जेल भेजने की दी धमकी
गेट पर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को वार्ता के लिए कंपनी अंदर बुलाया गया इस दौरान टेल्को पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। वार्ता में शामिल एक कर्मचारी ने बताया कि अधिकारियों ने कर्मचारियों को धमकी दी कि आप सबको जेल भेज दिया जाएगा। इसलिए जो कहा जा रहा है वह करें।
डीएलसी को सौंपा ज्ञापन
इसके बाद कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल एबीवीपी के नेता सुजीत कुमार के नेतृत्व में जमशेदपुर के उपश्रमायुक्त कार्यालय को एक मांग पत्र सौंपा। इसमें कहा गया की केंद्र सरकार के आदेशानुसार महामारी के दौरान किसी भी कर्मचारी को निकालने की मनाही है। बावजूद उसके कंपनी के द्वारा इन कर्मचारियों को निकाल दिया गया।