रामगोपाल जेना
चक्रधरपुर।
झारखंड कुरमाली भाषा विकास परिषद का पुनर्गठन कर दिया गया है .
यह परिषद 25 दिसंबर 1997 को स्थापित हुआ था. यह संस्था गैर सरकारी संस्था है झारखंड के क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. चाहे वह झारखंड अधिविध परिषद द्वारा नवम एवम दशम वर्ग के भाषाओं को प्रारंभ करने की बात हो या कोल्हान सहित अन्य विश्वविद्यालयों में भाषाओं को लागू करने की बात हो निवर्तमान कार्यकारिणी ने अथक प्रयास से शहीद निर्मल महतो कुडमी भवन का निर्माण करके कुरमाली के छह पुस्तक प्रकाशन की गई।भविष्य में कुड़माली के मानकीकरण एवं विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। कुरमाली भाषा भाषी लोग झारखंड बंगाल ओडिशा एवं असम चारों राज्यों में बहुतायत में निवास करते हैं। और सभी अपने-अपने राज्य में प्रचलित लिपि का व्यवहार करते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए संस्था एक सर्वमान्य लिपि रोमन को अपनाते हुए कुरमाली इन रोमन को विकास किया और उसी से देवनागरी के साथ-साथ पुस्तकों को प्रकाशित किया गया जिससे उक्त सभी राज्यों के लोग कुड़माली को सहज ढंग से अपना रहे हैं संस्था के 22 वर्षों के इतिहास में इसके अलावा अनेका अनेक भाषा एवं संस्कृति के विकास एवं प्रसार का कार्य किया गया वर्तमान कार्यकारिणी व आम सभा के पुनर्गठन करते हुए युवा नेतृत्व को संस्था का बागडोर सौंपा गया है जो इस प्रकार है बलराज कुमार हिन्दवार अध्यक्ष कोकिल महतो उपाध्यक्ष, ओम प्रकाश महतो सचिव यशवंत महतो सहायक सचिव योगेश्वर महतो कोषाध्यक्ष कार्यकारणी सदस्य शंकर लाल महतो दिनेश महतो हर चरण महतो महतो ,खगेश्वर महतो एवं नृपेंद्र महतो मुख्य संरक्षक पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष श्याम सुंदर महतो तथा संरक्षक गणेश्वर महतो नव चयनित समिति के सदस्यों को श्याम सुंदर महतो ने शुभकामनाएं दी।