जिला प्रशाासन आने वाले प्रवासी मजदूरों व छात्रों के स्वास्थ्य लेकर अलर्ट कोरोना से बचाव को क्वारंटाइन सेंटर में भी रखे जा रहे लोग

जमशेदपुर, 4 मई (रिपोर्टर): कोरोना महामारी से बचाव को लगाए गए लॉकडाउन के बीच दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों व छात्रों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. पिछले दो-तीन दिनों में सैकड़ों लोग राज्य के अलग-अलग जिले में अपने घर आ चुके हैं. जमशेदपुर में भी कई प्रवासी मजदूर व कोटा में पढऩे वाले छात्र आ चुके हैं. जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग उनके स्वास्थ्य को लेकर पूरी तरह से अलर्ट है. आने वाले लोगों में कुछ को क्वारंटाइन किया गया है तो कई लोगों को होम क्वारंटाइन भी किया गया है.
कोरोना महामारी का असर पूरे देश में भी बढ़ता जा रहा है. किसी न किसी राज्य में प्रतिदिन सैकड़ों कोरोना के मरीज मिल रहे हैं. केन्द्र सरकार ने पूरे देश में ही 23 मार्च से लॉकडाउन लगा दिया है. केन्द्रीय गृह मंंत्रालय ने लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया है. एक समय में ऐसा लग रहा था कि राज्य कोरोना महामारी से बच जाएगा लेकिन रांची हिन्द पीढ़ी से कोरोना मरीजों का मिलना शुरू हो गया. लॉकडाउन के बाद भी अब तक करीब 117 कोरोना मरीज मिल चुके हैं. राज्य के कई जिले में अब तक एक भी कोरोना मरीज नहीं मिले है. अब तक पूर्वी सिंहभूम भी पूरी तरह से सुरक्षित है. केन्द्रीय गृह मंत्रालय के गाइडलाइन के अनुसार पूर्वी सिंहभूम ग्रीन जोन में शामिल हो गया है. ग्रीन जोन में कई तरह की छूट दी गई है, लेकिन राज्य सरकार ने 17 मई तक पहले की तरह लॉकडाउन को जारी रखने की घोषणा कर दी है. जिला प्रशासन भी पूरी तरह से तैनात है कि कोरोना से लोगों का बचाव हो. अब जिले में प्रवासी मजदूरों का आने का सिलसिला शुरू हो गया है. पिछले कुछ दिनों में प्रवासी मजदूर व कोटा में पढऩे वाले छात्र आ गए हैं. जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग उनके स्वास्थ्य को लेकर पूरी तरह से गंभीर है. सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन ने जिले में कोरोना वायरस से निपटने के लिए संदिग्ध मरीजों को रखने के लिए करीब 262 क्वारंटाइन सेंटर बनाया है जिनमें से फिलहाल लोगों की संख्या को देखते हुए 38 क्वारंटाइन सेंटर को शुरू कर रखा है. इन सेंटर में कदमा स्थित ईसीसी फ्लैट, साकची स्थित सरकारी बस स्टैंड, ग्रेजुएट ट्रेनिंग हॉस्टल, मानगो चेपापुल स्थित सामुदायिक भवन समेत अन्य कई सामुदायिक भवनों को क्वारंटाइन सेंटर बनाया है. जब कोटा में पढऩे वाले छात्र जमशेदपुर आए थे तो सामुदायिक भवन में ही उनकी थर्मल स्कैनिंग किया गया था. 38 क्वारंटाइन सेंटर में 15 से 20 लोगों रखा जा रहा है. कई सेंटर ऐसे भी हैं जिनमें 30 लोगों को रखने की व्यवस्था की गई है. दूसरे राज्य से आने वाले प्रवासी मजदूरों को भी किसी एक क्वारंटाइन सेंटर में नहीं रखा जा रहा है बल्कि अन्य जगह बने सेंटर में रखा जा रहा है. सूत्रों की मानें तो क्वारंटाइन सेंटर में रखने वाले लोगों की जांच के लिए 80 डॉक्टरों, टेक्नीशियन व कर्मचारियों की टीम तैनात की गई है. क्वारंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों की जांच की जिम्मेदारी दी गई है. सुबह शाम क्वारंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है जिससे कहीं कोई लक्षण लगे तो तत्काल सैम्पल लेकर जांच की जा सके. जिले में प्रवासी मजदूर, कोटा से आए छात्रों व अन्य लोगों को होम क्वारंटाइन भी किया जा रहा है. उनलोगों के हाथ पर मुहर लगा दी जाती है. होम क्वारंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों का पता, मोबाइल नंबर, इसके साथ परिवार के किसी सदस्य का भी नंबर लिया जाता है. जिला प्रशासन की ओर से अलग-अलग टीम को फोन पर होम क्वारंटाइन पर रखने का निर्देश दिया गया है. एमजीएम मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कोरोना संदिग्ध मरीजों के सैम्पल की जांच के लिए दो मशीन लगातार काम कर रहा है. उसके लिए डॉक्टरों, टेक्नीशियन व कर्मचारियों की अलग-अलग टीम भी बनाया गई है. डॉक्टरों की टीम को रोटेशन पर रखा जाता है. बताया जाता है कि एक संदिध मरीज के सैम्पल की जांच के लिए कई प्रक्रिया पूरी की जाती है. कोरोना वायरस के संदिग्ध की रिपोर्ट आने में 8 से 9 घंटे लग जाते हैं. एमजीएम मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल में अब तक एक हजार से अधिक संदिग्धों की जांच की जा चुकी है. संदिग्धों की जांच रिपोर्ट निगेटिव है.

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