जामताड़ा के उपायुक्त एवम आरक्षी अधीक्षक के बीच कथित मनमुटाव के सार्वजनिक होने के बाद आरक्षी अधीक्षक पर सार्वजनिक रूप से हमले की साजिश पर वरीय पदाधिकारी गंभीर हैं। इस मामले को जहां आई ए एस बनाम आई पी एस विवाद के रूप में परोसने की कोशिश होने लगी है वहीं आरक्षी अधीक्षक द्वारा सोशल मीडिया पर अपने किसी परिचित से की गई बौद्धिक चर्चाओं और पदाधिकारियों के अनुभव, कार्य सिस्टम पर व्यक्त विचारों को परोस कर मामले पर सरकार को उकसाने का प्रयास भी किया जा रहा है, जबकि पूरा मामला जामताड़ा के अपेक्षाकृत नए एवम जिला संभालने और तालमेल बनाये रखने के मामले में उनसे ज्यादा अनुभवी एस पी के विरुद्ध जल्दबाज़ी में ऊपर मुख्यालय के एक अधिकारी को कर दी गयी शिकायत से शुरू हुआ है। यह एस पी धनबाद जैसे कोयला माफिया प्रभावित जिले में सिटी एस पी, टाटानगर रेल एस पी, गुमला जैसे संवेदनशील जिला की पुलिस कमान संभाल चुके हैं जबकि डी सी अभी बिल्कुल नए हैं।उल्लेखनीय है कि डी सी ला एंड आर्डर के लिए जिम्मेवार होते हैं लेकिन बिना एस पी के साथ तालमेल बनाये वे समानांतर पोलिसिंग नही कर सकते। डी सी ने 13 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रिहर्सल परेड में एस पी के कुछ मिनट विलंब से पहुंचने की शिकायत कर दी जबकि एस पी ने दावा किया बताते हैं कि वे निर्धारित समय पर पहुंचे, अलबत्ता डी सी पहले पहुंच गए थे। आम तौर पर ऐसे कार्यक्रमों में बहुत सी तैयारियों को लेकर अघोषित प्रोटोकॉल होता है और अतिथियों या वरीय अधिकारियों को डॉट तय समय पर ही आना समीचीन होता है ताकि मातहत के व्यवस्थापक असहज न हो जाएं और उनका मनोबल तैयारियों को लेकर प्रभवित न हो। इतनी सी बात को अब ऐसा रंग दिया जा रहा है जैसे एस पी ने कोई बहुत बड़ी गलती कर दी। झारखंड में फ़ोन टैपिंग कर लोगों की निजता का हनन का विवाद अभी थमा नहीं है और एफ आई आर तक की नौबत आ गयी है,इस बीच सोशल मीडिया पर निजी बातचीत को फिर से सार्वजनिक कर कुछ लोग वही इतिहास दुहरा रहे हैं. संभव है कुछ लोग किसी का एकाउंट हैक कर कुछ भी लिख दें और माहौल बिगाड़ कर अपनी रोटी सेंकें। जामताड़ा वैसे भी हैकर्स और लोगों के बैंक एकाउंट खलास करने वालों का जीता जागता नमूना है। जामताड़ा मैं बैंक राशि की चोरियों और साइबर क्राइम के लिए दुनिया में प्रसिद्ध हो चुका है। इस एस पी के कार्यकाल में वहां ऐसे अपराधियों पर कुछ कार्रवाइयां हुई हैं।