जमशेदपुर, 18 सितंबर (रिपोर्टर) : पोटका में पिछले दिनों अनाज से भरे एक वाहन के पलटने मामले में यहां बड़े पैमाने पर चलनेवाले खाद्यान्नों के गोरखधंधे का पर्दाफाश किया गया. आज तड़के तीन स्थानों पर छापामारी में भारी मात्रा में अनाज, चीनी, वाहन, खाली बोरियां आदि बरामद की गई. झामुमो केन्द्रीय समिति के सदस्य पवन कुमार ने बताया कि पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री दे दी गई है और उन्हें बताया गया है कि झारखंड बनने के बाद का यह सबसे बड़े सरकारी अनाज के गोरखधंधे का मामला साबित होगा. झामुमो युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बबन राय के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं की टीम पिछले कुछ दिनों से इन धंधेबाजों की निगरानी कर रही थी. सूचना देने के बाद प्रशासन ने आज तड़के यह छापामारी कराई.
श्री कुमार ने दावा किया कि यह सरकारी अनाज माफिया अंतरराज्यीय स्तर पर कालाबाजारी करता था. इस छापामारी में देश के अनेक फूड कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एफसीआई) के खाली बोरे और हजारों स्टीकर, स्पेशल ऑफिसर राशनिंग नवीन कुमार, मार्केटिंग अफसर जेपी श्रीवास्तव और उनकी टीम ने बरामद किए. साथ में डीएसपी अरविंद कुमार के नेतृत्व में पुलिसबल भी था. बताया जाता है कि 52 नं. रिफ्यूजी कॉलोनी मार्केट, केरला स्कूल के पीछे और कालीमाटी फ्लाई ओवर के नीचे गोदामों पर छापामारी की गई. केन्द्रीय समिति सदस्य ने आरोप लगाया कि सरकारी खाद्यान्नों के ठेकेदार पूर्व सरकार के संरक्षण में पल बढ़ रहे थे.
इन गोदाम में देश के विभिन्न एफसीआई से लाए गए गेहूं, चावल और चना के बोरों को खाली किया जाता था, फिर उस अनाज को सफेद रंग के नए बोरों में भरकर सिलाई कर दी जाती थी. नए सफेद बोरों में कुछ नहीं लिखा होता था, जबकि एफसीआई के बोरों में एफसीआई का नाम, जगह, लॉट नंबर, योजना का नाम, खेती का वर्ष वगैरह लिखा होता था. ऐसे बोरों को चोर बाजार में खपाने से पकड़े जाने का डर रहता था. इसलिए इन बोरों से अनाज को निकालकर सफेद रंग के बोरों में भर दिया जाता था.
इसके लिए यहां बोरा सिलाई मशीनें और वजन करने की मशीनें भी थींं. छापामारी के दौरान हेम सिंह बागान हावड़ा ब्रिज के नजदीक संजय मोहनानी के पहले गोदाम में साकची पुलिस ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं के साथ छापामारी की. यहां गोदाम का शटर बंद कर अंदर काम चल रहा था. पुलिस ने मौके से एक युवक को गिरफ्तार किया. यहां सफेद बोरे में पैक किए गए करीब 300 बोरे गेहूं बरामद हुए. इन बोरों के बगल में करीब 700 क्विंटल चावल जमीन में बिखरा हुआ मिला. इस चावल को सरकारी बोरों से खाली कर दिया गया था तथा इन्हें सफेद बोरों में भरने की प्रक्रिया चल रही थी. गोदाम में टेंपो (नंबर जेएच 05 एल 9417) रखा था, जिस पर सफेद रंग के 3 बोरे रखे हुए थे. टेंपो के बगल में एक बाइक रखी थी जिसका नंबर जेएच 05 एडी 54352 था. दोनों वाहनों को जब्त कर लिया गया. छानबीन के क्रम में एफसीआई के अनेक बोरे और हजारों स्टीकर मिले. ये स्टीकर सरकारी बोरों के ऊपर लगे रहते हैं. 4 बोरों में भरे हजारों स्टीकर जब्त किए गए.
बोरों और स्टीकरोंं में एफसीआई बिलासपुर सिंदरी लॉट नंबर 16363 श्रीजी राइस प्रोडक्ट, एफसीआई राजनंदगांव लॉट नंबर 8229 भारत सरकार एसएस राइस मिल, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत कुछ चने के बोरे भी यहां पाए गए. जिसमें सप्लाई करनेवाले का नाम एनएएफईडी नई दिल्ली लिखा हुआ था. इसका टीआर 5553 था, तथा इस बोरे पर ‘नॉट फॉर सेलÓ लिखा हुआ था. यह बुंदेलखंड दाल मिल उत्तर प्रदेश का था. पूर्वी सिंहभूम जिले में गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से बांटे जाने के लिए चना कब आया और कहां चला गया? यह किसी को पता नहीं है. कई स्टिकर में प्राथमिक कृषि साख समिति झारई तथा उजनेट लिखा हुआ था. इस स्टीकर में समर्थन मूल्य गेहूं खरीदी योजना भी अंकित था. एफसीआई नियोरा के खाली बोरे यहां मिले जो उमाश्री राइस मिल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सप्लाई किए गए थे. इनका लॉट नंबर 33246 था. सागर राइस मिल के स्टीकर भी यहां मिले.
एफसीआई सीरी खरोरा के स्टीकर भी मिले, जिनका लॉट नंबर 31791 था. इसी तरह देशभर के अनेक फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के बोरे और स्टीकर यहां से बरामद हुए. बताते हैं कि सरकारी बोरों से ये स्टीकर खोलकर रखे गए थे. स्टीकरों में सिलाई खोलने के निशान मौजूद थे. इस गोदाम से जगदंबा ट्रेडिंग, स्टेशन रोड चांडिल मार्केट के छपे हुए खाली बिल के अनेक पन्ने भी मिले. स्पेशल ऑफिसर राशनिंग नवीन कुमार ने बताया कि ये गेहूं और चावल सरकारी है.
साकची पुलिस ने पुराने केरला समाजम स्कूल के पीछे स्थित संजय मोहनानी के दूसरे गोदाम में भी छापामारी की. यहां करीब 11 सौ बोरा से अधिक सरकारी चावल पाया गया. चावल के इन बोरोंं को भी एफसीआई से निकालकर रखा गया था. राशनिंग विभाग इस बात की जानकारी हासिल करने में लगा है कि उक्त सभी एफसीआई के अनाज से भरे बोरे किस किस राशन दुकानदार के पास आए थे, जहां से संजय मोहनानी उन्हें खरीद कर ऊंचे दाम में कालाबाजार में बेचने का धंधा किया. मालूम हो ग्रामीणों को राशन डीलर 1 रुपया किलो गेहूं और चावल देते हैं. इस चावल को 2 से 5 रु. किलो खरीद पर काले बाजार में 20 से 30 रुपया किलो बेचा जाता है. कोरोना काल में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने गरीबों को इतना गेहूं और चावल दिया कि वे आसानी से बैठकर कहीं महीने पेट भर भोजन कर सकें. परंतु इस कालाबाजारी के चलते उन्हें अनाज नहीं मिला और मजबूर होकर उन्हें फिर से वापस महानगरों में जाना पड़ा.
कहा जाता है कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले राशन डीलर और राशन विभाग के अधिकारी ही बताए जाते हैं. अगर आज झामुमो के नेता पीछे नहीं पड़ते तो राशनिंग विभाग इस बड़े रैकेट का भंडाफोड़ नहीं कर पाता. इसी तरह पोटका स्थित बेलाजोड़ी गांव में परसों 100 बोरा सरकारी गेहूं से भरी 407 ट्रक दुर्घटनाग्रस्त नहीं होती तो यह कालाबाजारी भी उजागर नहीं होती.