भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए जो घोषणा पत्र जारी किया है उसमें मतदाताओं और झारखंड के लोगों के लिए कई लोक लुभावन वायदे किए गए हैं । हेमंत सोरेन सरकार ने जिन योजनाओं को लागू किया है और जैसा कि माना जा रहा है खासकर मंइया योजना हेमंत सरकार का मास्टर स्ट्रोक साबित होता दिखा है। तो उसकी काट के तौर पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से गोगो दीदी योजना लाने की बात कही जा रही है। इस योजना के जरिये झारखंड की हर महिला को हर महीने 2100 रुपये देने का एलान भाजपा के संकल्प पत्र में किया गया है ।इसके अलावे सभी परिवार को 500 रुपये में गैस सिलेंडर और साल में दीपावली और रक्षाबंधन के मौके पर दो मुक्त सिलेंडर देने की भी घोषणा की गई है ।बेरोजगार युवाओं को 2 साल तक प्रतिमाह 2000 रु का भत्ता दिया जाएगा। इनके अलावे पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने वादा किया है कि यदि बीजेपी की सरकार बनी तो 300 यूनिट बिजली मुक्त में दी जाएगी। एक आंकड़े के अनुसार भाजपा के संकल्प पत्र में जितने ऑफर दिए गए हैं वह झारखंड की बजट का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा हो जाता है। इतनी बड़ी रकम सरकार कहां से लाएगी यह एक बड़ा मुद्दा है।
पहले भी देखा जा चुका है की कई राज्यों में इस तरह के लोक लुभावन ऑफर देकर चुनाव तो जीत लिया। कुछ महीने तक लोगों को इसका लाभ भी मिला मगर उसके बाद ठन ठन गोपाल । सरकार के पास अपने कर्मचारियों को देने तक के पैसे नहीं ।कर्नाटक का ताजा उदाहरण सामने है जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को यह कहते सुना गया कि इतना ही वादा किया जाए जितना निभाया जा सके। व्यावहारिक तौर पर होना भी यही चाहिए ।आप चादर से ज्यादा पैर फैलाने का प्रयास करेंगे तो वही होगा इस समय कई राज्यों में देखा जा रहा है। बीजेपी ने खडग़े के वयान को लेकर एक बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास किया है लेकिन जो बातें कांग्रेस अध्यक्ष ने कही है वही होना चाहिये। आज देखा जा रहा है कि येन केन प्रकरण चुनाव जीतना ही राजनीतिक दलों का उद्देश्य रह गया है । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक से बढक़र एक ऐसी घोषणाएं की जा रही है जो जनता को आकर्षित तो कर रही हंै मगर सरकार के खजाने पर इसका कितना असर पड़ेगा यह गंभीर मसला बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल तक जिसे रेवाड़ी कहकर इस तरह के ऑफर दिए जाने वाले राजनीतिक दलों और सरकारों का माहौल उड़ाते थे, अब भारतीय जनता पार्टी ने वही राह पकड़ ली है। उसे समझ में आ गया है कि वोटरों को लुभाने के लिए यही सबसे सरल रास्ता है। चुनाव आयोग तक में इस बात पर चिंता जताई है कि जो घोषणा पत्र जारी किए जाते हैं और जो वादे किए जाते हैं उन्हें कैसे पूरा किया जाएगा, इसका भी जिक्र होना चाहिये। लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे, यही बड़ा मुद्दा है।