झारखण्ड कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन
एफएमसीजी ट्रेडर्स की समस्याओं को लेकर आज झारखण्ड कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन (जेसीपीडीए) के पदाधिकारियों की बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान वित्त मंत्रालय के चेक बाउंस को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के प्रस्ताव पर चिंता जताई गई और कहा गया कि इससे जानबूझकर भुगतान में विलम्ब करनेवाले चेक जारीकर्ता/कर्जदाता को मनमानी करने का अवसर मिल जायेगा, अतः चेक बाउंस के मामले में ढील देना उचित नहीं है। बैठक में जीएसटी कॉउन्सिल के निर्णयों का भी स्वागत किया गया जिसमे पांच करोड़ तक के टर्नओवर वाले कारोबारी मई, जून व जुलाई का जीएसटीआर-3बी फॉर्म यदि 30 सितम्बर तक भर देते हैं तो उन्हें कोई जुर्माना नहीं देना पड़ेगा। बैठक में हुए निर्णयों के आधार पर जेसिपीड़ीए ने चेक बाउंस मामले में वित्त मंत्रालय को पत्र प्रेषित कर अपने सुझावों से अवगत कराया। विदित हो कि वित्त मंत्रालय द्वारा इस मामले पर देश के सभी व्यापारिक संस्थानों से 23 जून तक सुझाव आमंत्रित किये गये हैं।
उक्त जानकारी देते हुए जेसीपीडीए के सचिव संजय अखौरी ने कहा कि वैश्विक आपदा के दौरान डिस्ट्रीब्यूटरों ने अपने जानमाल की परवाह किये बगैर सभी आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की है और अभी भी कर रहे हैं, ऐसे में यह आवश्यक है कि सरकार डिस्ट्रीब्यूटर्स को प्रोत्साहित करे। ऐसे बहुत से व्यवसाय हैं जिन्होंने कभी ऋण नहीं लिया लेकिन इस महामारी के तहत वे अब अपनी आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए धन उधार लेने को मजबूर हैं अतः ऐसे खुदरा व्यापारियों को बैंको द्वारा कम ब्याज दरों पर ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाय। इसी प्रकार उद्योग पालन कार्ड की तर्ज पर व्यापारी आधार कार्ड जारी करना एवं विदेशी प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए एमडीए और एमएसएमई के लाभों की उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाना हितकर होगा। उन्होंने पत्र के माध्यम से वित्त मंत्रालय को यह भी सुझाया कि वित्त वर्ष 2020-21 में सभी व्यापारियों को हानि या बहुत कम मुनाफे का अंदेशा है, अतः व्यापारियों को किये जानेवाले भुगतान पर टीडीएस न काटा जाय, इससे व्यापारी के हाथ में धन व्यवस्था सुधरेगी और आयकर विभाग को रिफंड करने में होनेवाले व्यय से मुक्ति मिलेगी।