बर्ड फ्लू का भारत में कई बार आक्रमण कर चुका है और एक बार फिर उसने यहां दस्तक दी है. पशुपालन विभाग के मुताबिक, अब तक बर्ड फ्लू के मामले राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और केरल तक में देखे गए हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश में जहां इसके संक्रमण से कौओं की मौत हुई है, तो वहीं हिमाचल प्रदेश में प्रवासी पक्षियों और केरल में बत्तखें इसका शिकार बनीं हैं. हालांकि मुर्गियों में अभी इसके संक्रमण का पता नहीं चला है, लेकिन पशुपालन विभाग ने मुर्गियों में इसके संक्रमण के संभावित मामलों पर नजर रखने के निर्देश जरूर दिए हैं. कौओं की मौत झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भी हुई है और अपने शहर जमशेदपुर में भी. जमशेदपुर में कल चार कौवों की मौत से राज्य सरकार सतर्क हो गई है. जिला पशुपालन विभाग के अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा गया है. साथ ही मृत कौवों के सैंपल जांच के लिए रांची भेजे गए हैं. जुबली पार्क प्रबंधन की सूचना पर विभाग ने क्यूआरटी को जुबली पार्क भेजा. सतर्कता अच्छी बात है लेकिन हायतौबा मचाना ठीक नहीं. कौआ-मैना की मौत इस शहर में पहले भी होती रही है. लेकिन चिंता की वजह यह है कि यह वायरस पक्षियों के साथ जानवरों और मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है.
बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में सामने आया था और तब से इससे संक्रमित होने वाले 60 फीसदी लोगों की जान जा चुकी है. लेकिन यह वायरस इंसानी फ्लू से अलग मनुष्य से दूसरे मनुष्य में आसानी से नहीं फैलता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि बर्ड फ्लू एक वायरल इन्फेक्शन है, जो पक्षियों से पक्षियों में फैलता है. यहां भी वही हाल है कि पर्यावरण की वजह से जिन पक्षियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, उनमें यह वायरस पनप सकता है. कल केन्द्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह एक टीवी चैनल से बातचीत में कह रहे थे
कि सर्दियों के दिनों में बड़ी संख्या में बाहर से प्रवासी पक्षी आते हैं. उन्हीं पंछियों के जरिये यह फैला है. लेकिन यह सूचना पुख्ता नहीं है. लेकिन केरल में बर्ड फ्लू को आपदा घोषित कर दिया गया है और अन्य राज्यों में भी मुर्गियों, बत्तखों और कौओं को मारने का सिलसिला शुरू हो चुका है. दो लाख से ज्यादा पक्षी मर चुके हैं और अब पता नहीं कितने पक्षी और मारे जाएंगे. कोरोना का संकट झेल रहे देश के लिए एक और खतरे की घंटी बज चुकी है.
देश पहले ही आर्थिक चुनौतियां झेल रहा है, लॉकडाउन के चलते पहले से ही बेरोजगारी फैली हुई है. उद्योग धंधे अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं. लोग अभी सम्भल ही नहीं पा रहे कि नए वायरस का हमला हो गया है. सबसे बड़ी चिंता तो पोल्ट्री उद्योग की है. पोल्ट्री उद्योग बंद किए जा रहे हैं. देशभर में मुर्गा मंडियों में लाखों रुपए का व्यापार होता है. उनके ठप्प होने का खतरा पैदा हो गया है. मुर्गों और अंडों की बिक्री प्रभावित होने लगी है क्योंकि बर्ड फ्लू की खबरें आने के बाद लोग चिकन और अंडे खाना बंद करने लगे हैं. मुर्गों का दाम गिरने से फार्म वालों को बड़ा नुकसान होगा. स्थानीय प्रशासन लगातार सलाह दे रहा है कि मुर्गी, बत्तख, मछली और इनसे जुड़े उत्पादों मसलन अंडे और मांस के सेवन से परहेज करें, मरे हुए पक्षियों को छुएं नहीं. यह समस्या सिर्फ भारत में ही नहीं है बल्कि कई देश इससे जूझ रहे हैं. जापान में भी कोरोना महामारी के बीच बर्ड फ्लू का प्रकोप छाया हुआ है, जिसके चलते वहां अब तक 23 लाख से ज्यादा मुर्गियों और बत्तखों को मारा जा चुका है. अपने हिमाचल प्रदेश में भी विदेशी परिंदों पर बर्ड फ्लू का संकट गहराने लगा है. बुधवार को पौंग बांध क्षेत्र में 292 और प्रवासी पक्षी मृत पाए गए. अब तक बांध क्षेत्र में 3030 परिंदों की मौत हो चुकी है. उधर, कांगड़ा के ही पौंग क्षेत्र और बिलासपुर के कोल बांध क्षेत्र में करीब 18 कौओं व तोतों की भी मौत होने की भी सूचना है. इसलिए पैनिक होने की जरूरत नहीं लेकिन सतर्क तो रहना ही है. संभव हो तो मांसाहार तत्काल छोड़कर चलें. चिडिय़ों के बसेरा वाले इलाके में न जाएं. शासन का दायित्व बनता है कि वह जिन पंक्षियों की मौत हुई है, उनकी जांच करे और सही तथ्य से अवाम को अवगत कराए.