केबुल कंपनी: ताड़ से गिरा खजूर पर अटका जांच रिपोर्ट में थाना प्रभारी को क्लीन चिट मिलना खिलाडिय़ों को मंजूर नहीं

जमशेदपुर 2 जुलाई: केबुल कंपनी में चोरी की घटना और थाना प्रभारी – बनाम सिक्युरिटी एजेंसी विवाद में एक ओर जहां पुलिस की विभागीय जांच में थाना प्रभारी को क्लीन चिट मिल गयी वहीं प्रतिवाद स्वरूप सिक्युरिटी एजेंसी ने अपने गार्डों को वहां से हटाने का दबाव बनाया जो शाम तक चला। अंतत: देर शाम पुन: एजेंसी ने अपने गार्डों को काम पर वापस लौटाया।
केबुल कंपनी की हालत उस अनाथ बच्चे की तरह जिसका शोषण सभी करना चाहते लेकिन देखभाल से मुंह मोड़ लेते। पूरे प्रकरण में वर्तमान केबुल का स्थानीय प्रशासन मूक द्रष्टा बना हुआ है। इस कंपनी का दुर्भाग्य है कि जिले से दो-दो बड़े नेताओं के मुख्यमंत्री बनने के बावजूद केबुल को लूट के लिए बनाए गए ताना बाना से मजदूर और राज्य हित में बाहर नहीं निकाला जा सका। अभी विधायक सरयू राय से उम्मीद की जाती है कि वे केबुल से जुड़े लोगों का कल्याण करा देंगे। यहां लोकल पालिटिक्स और निहित स्वार्थ इतना अधिक है कि कंपनी को सुव्यवस्थित करने के बजाय उसका अस्थि पंजर तक चबा जाने वालों का ही बोलबाला हावी है। सिक्युुरिटी एजेंसी बनाम थाना प्रभारी विवाद में स्थानीय प्रबंधन समेत केबुल का दुखड़ा रोनेवाले अनेक सफेदपोशों का चेहरा बेनकाब हुआ।
सिक्युरिटी एजेंसी ने थाना प्रभारी पर हो रही जांच में विपरीत परिणाम देखकर वहां से गार्डों को एकतरफा ढंग से हटाने का कदम उठाया जो देर शाम जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से वापस करना पड़ा। विवाद में जांचकर्ता सिटी एसपी के बारे में शहर में मान्यता है कि वे किसी दबाव या प्रभाव में नहीं आते, फिर उनकी जांच पर भरोसा नहीं करना पर्दे के पीछे चल रहे खेल का संकेत देता है।

एसएसपी ने गोलमुरी थाना प्रभारी को दी क्लिनचिट

:वरीय पुलिस अधीक्षक एम तामिल बानण ने केबुल कम्पनी मेंं थाना प्रभारी रणविजय शर्मा पर सुरक्षा गार्ड के साथ मारपीट के आरोप को गलत बताते हुये कहा कि थाना प्रभारी निर्दोष है .यह घटना चोरों व सुरक्षाकर्मियों के साथ बीच हुयी मारपीट में गार्ड अंगद ,भीमा जख्मी हो गये थे.वहीं दूसरी ओर केबुल कम्पनी से सुरक्षा गार्ड हटाये जाने पर एसएसपी ने कहा कि उन्हे इस बात की जानकारी नहीं है की गार्ड हटायेगें. वहीं थाना प्रभारी रणविजय शर्मा ने भी कहा की उन्हे गार्ड हटाये जाने सम्बंधी किसी प्रकार की सूचना नहंीं है ना ही दी गयी है.
एजेंसी ने कहा 6 गार्ड के भरोसे 32 एकड़ परिसर की सुरक्षा संभव नहीं
इसी बीच गुरुवार को ओबिडिएंट सर्विसेज प्राईवेट लिमिटेड़ ने कंपनी के लिक्विडेटर शशि अग्रवाल, उपायुक्त और एसएसपी को ज्ञापन सौंपकर केबुल कंपनी से सुरक्षा गार्ड वापस लेने की जानकारी दी गई ै। पत्र भेजकर कहा गया कि कंपनी बंद होने के कारण कंपनी के अंदर की संपति पर चोरों की नजर रहती है। 32 एकड़ कंपनी परिसर का क्षेत्रफल है। लगभग 90 प्रतिशत लाइट खराब है, ऐसे में एक सुपरवाइजर व 6 सुरक्षागार्ड के भरोसे कंपनी की सुरक्षा कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में एजेंसी सभी संबधित लोगो को जानकारी देते हुए अपने गार्ड को हटा रही है।
ज्ञापन सौपने के बाद बंद पड़ी केबुल कंपनी से निजी सिक्यूरिटी एजेंसी के सुरक्षागार्ड गुरुवार से हटाने की बात कही।

पुलिस गश्ती बढ़ाने, चोरी रोकने की मांग
वहीं मामले का पता चलने के बाद केबुल बचाओं संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने उपायुक्त से मिलकर कंपनी में सुरक्षा की मांग की। सदस्यों ने ज्ञापन सौपकर कहा कि सुरक्षा गार्डों के रहते हुए कंपनी में लगातार चोरी हो रही थी। अब गार्ड नहीं है तो चोरी और बढ़ जाएगी। अत: जिला प्रशासन पुलिस से लगातार गश्ती व कंपनी में चोरी को रोकने की मांग की। ज्ञापन सौपने वालों में प्रेमप्रकाश दुबे, पप्पू यादव, अनिमेष ङ्क्षसह, प्रताप कुमार समेत अन्य लोग शामिल थे।

केबुल में पुलिस प्रतिनियुक्त करे जिला प्रशासन
किसी भी बंद पड़ी कंपनी से लोहा आदि माल टपाने वाले गैंग गिद्द की तरह उस पर मंडराते रहते हैं, जबकि उन कंपनियों में बैंक या अन्य वित्तीय संगठनों के मार्फत जनता का ही पैसा लगा होता है। इस नाते जिला प्रशासन का यह कत्र्तव्य होता है कि परिसंपतियों की रक्षा सुनिश्चित हो। इस पहलू के दृष्टिगत केबुल कंपनी के लिए एक खास आउट पोस्ट सृजित करना चाहिए। अगर यह संभव न हो तब कम से कम पुलिसकर्मियों की तैनाती आवश्यक प्रतीत होती है। केबुल कंपनी में इतनी जगह है कि आउट पोस्ट खोलने या पुलिसकर्मियों के रहने पर कोई अतिरिक्त व्यय भार नहीं पड़ेगा। यहां चोर आसमान से नहीं आते बल्कि केबुल खुलवाने का दंभ भरनेवाले केबुल सफेदपोशों के इशारे पर काम करते हैं। पुलिस की 24 घंटे तैनाती निश्चित रूप से उन्हें हतोत्साहित करेगी।

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