कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय या खाए बौराए नर या पाए बौराए ,होटल अल्कोर मामला।

जमशेदपुर, 29 अप्रैल :- अल्कोर होटल का मामला सिर्फ लॉक डाउन उल्लंघन और इम्मोरल ट्रैफिक (प्रिवेंसन)एक्ट 1956 की धारा 3/4/5/6 के हनन का ही नहीं बल्कि आयकर इनफोर्समेंट विभाग (इडी) के तहत मनी लॉड्रिंग का भी बनता है। प्रथम दो मामलों में तो शहर के आठ रंगीनमिजाज कारोबारियों और एक्युटी को जेल भेज दिया गया लेकिन मनी लॉड्रिग का मामला आयकर को भेजने का दायरा बनता है। 10 रुपये के सीरियल नंबर पर हवाला की तरह रुपये पहुंचाये गये। हवाला में इसी प्रकार नकदी भेजी जाती है। ऐसा कोई नकद ट्रांजैक्शन जो बैंक के जरिये नहीं किया जाता हो वह मनी लॉड्रिंग के दायरे में आता है। इसी से पता चलता है कि यह आठो कारोबारी हवाला को लेकर कितने अभ्यस्त रहे होंगे। सिर्फ शरद पोद्दार की ही बात की जाये तो आज से 8-10 साल पहले उनकी हैसियत नगण्य थी। लेकिन इन 10 वर्षों में उसके पास अकूत संपत्ति आ गयी। पांच इंडक्सन, दो स्पंज के अलावे स्टील के कारोबार में उचंती लेन देने के वे साक्षात नमूना हैं। कमोवेश अन्य सात लोगों पर भी यही स्थिति लागू होती है।
एक दोहा है
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय
या खाए बौराए नर या पाए बौराए
इसकी व्याख्या करने की जरुरत नहीं है। कनक मतलब सोना और कनक मतलब धतूरा होता है। किसी को सोना मिल जाए तो भी वह बौरा जाता है। जैसे धतूरा खाकर लोग बौरा जाते हैं तो हवाला और अन्य उचंती कारोबारों से धन अर्जित कर ये रंगीले लोग बौरा गये थे। तभी तो इस वैश्विक आपदा में जहां मानवता पर संकट छाया हुआ है, ये एक सुनियोजित तरीके से मौज मस्ती के लिये होटल अल्कोर को ही ब्रोथेल(वैश्यालय) बनाये हुए थे। लॉक डाउन के दर्मयान जहां सोसल डिस्टेंसिंग और अन्य सावधानियों के साथ लोग घरों में भी सशंकित होकर दुबके हुए हैं, वहां ये लोग कहने की जरुरत नहीं शहर के किन किन कोनों से पहुंचकर होटल में क्या-क्या कर रहे थे? लगभग 25 वर्षीया एक युवती को कोलकाता से होटल में लाकर ब्यूटी कोर्स की पढाई पढी जा रही थी और कितनी लड़कियां आई होंगी, यह पुलिस को अभी तक हाथ नहीं लगा है। इस सुंदरी ने जो वयान दिया है उससे होटल अल्कोर में न सिर्फ वैश्यालय चलने का आरोप बनता है बल्कि मनी लॉंड्रिंग की भी प्रैक्टिस की जाती थी। उक्त दोहे के अनुसार ये सारे लोग बौराये हुए ही माने जाएंगे। और संभव है वे अदालत में यह तर्क दें कि हमारा चूंकि पैसे की गर्मी से दिमाग असंतुलित हो गया है, और हमने पागलों की तरह यह काम किया, तो शायद उन्हें लाभ मिल जाये।
कानून में पागलों द्वारा किया गया कोई भी गैरकानून काम शायद क्षम्य होता है। इन्हें बौराया हुआ इसलिये भी कहा जा सकता है कि सभी बालबच्चे और परिवार वाले हैं। इनमें कुछ का बच्चे शादी लायक हैं, कुछ का रिंग सेरोमेनी होकर शादी का कार्यक्रम भी तय हो चुका है। ऐसे मामलों में पता नहीं कौन उन लोगों को साजिश रचकर फंसाता चला गया जिसपर कुछ लोग इस कार्रवाई का विरोध करने की बात भी कर रहे हैं। पैसे को यदि आज मानवता की सेवा में खर्च किये होते तो उन्हें गर्मी भी नही चढती और यश भी मिलता जिससे उनके कुछ पुराने पाप भी धुल जाते।
अभियोजन पर यह बड़ी जिम्मेवारी है कि वह इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंसन की उक्त धाराओं में कितनी गहराई व्यापकता और दूर दृष्टि से अनुसंधान कर संहित बिन्दुओं को चार्जशिट में उठाते हैं। सेक्सन 3 में न्यूनतम से अधिकतम पांच साल की सजा., सेक्सन चार में सात से 10 साल की सजा, सेक्सन पांच में सात से 14 साल की सजा और छह मे सात साल की सजा का प्रावधान है। सभी धाराएं गैरजमानती हैं। हाई कोर्ट ने फिलहाल लॉक डाउन और झारखंड में महामारी अधिनियम के लागू होने की स्थिति में अधिनस्त अदालतों को सात साल से कम सजा वाले मामलों में ही जमानत पर सुनवाई करने की छूट दी है। वैसे भी अगर अभियोजन केस डायरी और चार्जशिट में सभी बातों को सूक्ष्मता से उठाता है तो शायद जिला स्तर पर इन्हें कोई राहत मिलने की संभावना कम ही दिखती है। तो फिलहाल इन्हें घाघीडीह जेल के क्वोरेंटाइन हॉल में ही रात गुजारनी पड़ सकती है। जेल मैन्युअल का अगर ठीक ढंग से पालन हुआ तो इनकी बौराहट की दवा मिल जाए। समाज के अगुवा और साधन संपन्न लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे आदर्श के साथ अपने मातहत या अन्य लोगों को इंसानियत का संदेश देंगे। किन्तु कतिपय अधिकारियों को खरीद फरोख्त कर, इधर का माल उधर टपाकर, टैक्स चोरी कर, बिजली चोरी कर, नेताओं को चुनाव खर्च देकर,थाना प्रभारी स्तर पर कतिपय पुलिसकर्मियों को सेट कर ये सचमुच बौरा जाते हैं। और तब नैतिकता भी इनके लिये कोई मायने नहीं रखती।

24 वर्षीया यह युवती कोलकाता ग्रीस पार्क थाना के अंतर्गत रोमेश दत्ता स्ट्रीट की रहने वाली है। जमशेदपुर से उसके कथनानुसार बजरिये शरद पोद्दार पुराना नाता है। शरद पोद्दार के साथ वह बहैसियत पत्नी के रुप में संबंध होने का दावा करती है। 23 फरवरी या 23 मार्च को होटल अल्कोर में आने के पहले भी वह जमशेदपुर लाई जा चुकी है। उसने कहा है कि होटल अल्कोर के कमरे में शरद पोद्दार उसके साथ नियमित संबंध बनाता था। राहुल अग्रवाल भी आता था। पुलिस ने जिस दिन घटना को उजागर किया, उस दिन होटल में बहुत लोग लंगोट खोलकर शायद इंतजार कर रहे थे।
युवती का कहना है कि उसकी एक बहन भी है। पहले वह मुंबई में रहती थी। भाई के देहांत के बाद 2013 में परिवार के साथ कोलकाता आई। मुंबई में मात्र सातवीं तक की शिक्षा पाई। पता नहीं कौैन सी इवेट मैनजमेंट से जुड़ी थी जहां शिक्षा का कोई बैरियर नहीं रखा गया और सातवीं पास लड़कियां भी होटल अल्कोर जैसे नामी गिरामी जगह पर इवेंट आयोजित करती थी। अंदाज लगाया जा सकता है कि यह कैसा इवेंट होता था। उसे व्यूटी कोर्स करने का भी शौक रहा है। और यहां के धनपतियों को वह शायद व्यूटी कोर्स सिखाने के लिये ही यहां आती थी। उसका दावा है कि 22मार्च को शरद पोद्दार ने उसे कोलकाता से अपने किसी दोस्त के जन्म दिन पार्टी में बुलाया और उसी ने गाड़ी बुक कराया। 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कफ्र्यू का आह्वान किया था। ऐसे लोगों के प्रधानमंत्री के आह्वान का भी कहां सम्मान था। चोरी छिपे और रास्ते मे जहां तहां चेकिंग के बीच पैरवी पहुंच के प्रभाव से गुजरते हुए वह होटल अल्कोर में आ गयी। उसी दिन से वह कमरा नंबर 402 में ठहरी थी। शरद पोद्दार होटल में उससे मिला और उसने ही कमरा बुक कराया तथा बिल का भुगतान किया। शरद पोद्दार उससे रोज मिलने आता था और सारी जरुरतों का सामान भी लाता था। शरद का दोस्त राहुल अग्रवाल भी उसकी सेवा में रहता था जो एक ट्रैवल एजेंट बताया जाता है। इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंसन अधिनियम की सुसंगत धाराओं में इस बात का जिक्र है कि अगर यौन संबंध या शोषण का काम किसी लाभ के लिये किया जाता है और उसमें लेनदेन होता है तो उसे दंडनीय माना जाएगा। शरद पोद्दार या राहुल अग्रवाल का इतिहास नहीं कि कभी उन्होंने किसी जरुरतमंद की सेवा की हो तो वे किस उद्देश्य से इस सुंदरी की सेवा में लगे हुए थे। ब्रोथल की जहांतक बात है उसके लिये सरकार कानूनी रुप से ट्रैड लाइसेंस जारी करती है। अन्यथा ऐसा कोई काम कहीं भी चलता हो तो उसे अवैध ढंग से संचालित वैश्यालय के दायरे में माना जाता है, यहां तक कि कार, या किसी कमरे में भी इस काम की अनुमति बिना लाइसेंस के नहीं है। शरद पोद्दार या राहुल अग्रवाल अगर इसका लाइसेंस करा लिये होते तो शायद आज इतना बवाल नहीं मचता और इतने नामी गिरामी लोगों को चेहरे ढककर जेल नहीं जाना पड़ता। होटल अल्कोर भी इसी दायरे में आ गया।
जहा तक मनी लॉड्रिंग का सवाल है, शरद पोद्दार द्वारा जैसा कि उक्त सुंदरी का कहना है, उसे लगभग 5 से 6 लाख रुपये नकद दे चुका है। पैसे देने के तरीके का वर्णन करते हुए युवती ने बताया है कि वह किसी 10 रुपये के नोट का सीरियल नंबर उसे बता देती थी। उसके बाद उसका कोई आदमी उसे पैसा चुकाने आता था और उक्त सीरियलनंबर का नोट लेकर चला जाता था। इससे पुष्टि हो जाती थी कि उसे पैसा मिल गया। शरद पोद्दार को कभी वह ब्वाय फ्रैंड बताती है तो कभी कहती है कि उसके साथ उसका पति पत्नी का रिश्ता है।
इतने बड़े होटल प्रबंधन से यह गलती अनजाने कैसे हो गयी कि लॉक डाउन में उसके यहां फंसी किसी युवती की जानकारी उसने प्रशासन को नहीं दी। आरोप है कि अल्कोर में स्पा खुला हुआ था। जहां लोग मसाज कराने आते थे। मंगोतिया ने मीडिया को कहा भी कि वह दाढी बनवाने आया था। इस दाढी बनवाने और स्पा के चालू होने की बात नाई समाज के लिये चुनौती है। जब चोरी छिपे दाढी बाल काटने पर उनकी धर पकड़ हो गयी। होटल प्रबंधन यहां बुरी तरह चूका. जिससे अंदाज लगाया जा सकता है कि कितनी बड़ी चूक यूं ही नहीं हो गयी। इन सब शंकाओं के बीच होटल अल्कोर भी ब्रोथेल की श्रेणी में आरोपित हो गया। युवती ने कहा है कि उसके पास तीन मोबाइल हैं जिनमें एक शरद पोद्दार ने ही खरीदकर दिया था। इनमें दो का सीम नंबर भी उसने बताया। शरद पोद्दार के मोबाइल में भी बहुत सारी लड़कियों और कथित रुप से बौराये लोगों का नंबर है। पुलिस ने युवती के कमरे से 13 हजार रुपये और तीन मोबाइल बरामद किये हैँ। युवती का दावा है कि यह रुपये शरद पोद्दार ने ही उसे दिये थे।

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