कदमा के 14 वर्षीय दलित की मौत में न्याय दांव पर पुलिस का झुकाव अभियुक्त की ओर

जमशेदपुर, 19 जुलाई (रिपोर्टर): कदमा थाना में दर्ज 14 वर्षीय बालक की मौत का मुकदमा संख्या 111/20 आईपीसी 302 एवं एससीएसटी प्रताडऩा निरोधी धारा के अंतर्गत दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने न अभियुक्त को गिरफ्तार किया, न ही चार-पांच दिन बीतने के बावजूद उसके द्वारा कोई ऐसी कार्रवाई करने की सूचना है जिससे पीडि़त पक्ष के हाथ न्याय की लड़ाई लडऩे की ताकत मिलती दिखाई दे रही हो. अलबत्ता प्राथमिकी में दर्ज अभियुक्त देबू मुखर्जी को थाने से ही पुन: छोड़ दिया गया जिससे आम लोगों खासकर पीडि़त दलित समाज में पुलिस की कार्यशैली को लेकर निराशाजनक चर्च फैली है और माना जा रहा है कि कदमा क्षेत्र के राज्य सत्ता पक्षा से जुड़े लोगों के इशारे पर पुलिस अभियुक्त को बचने का मौका दे रही है, जबकि सरकार की मंशा गरीबों-दलितों को न्याय में तत्परता दिखाने की कही जाती है.
मामले को उठाने और इसे लेकर थाने तक एफआईआर के लिए संघर्ष करने वाले दलित समाज के प्रतिनिधि सुरेश मुखी ने दावा किया कि थाने से अभियुक्त को जब पुलिस ने छोड़ा तब डीएसपी ने पूछने पर कहा- वरीय अधिकारी के कहने पर छोड़ा गया. अनुसंधान और पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखने के बाद जरूरी होगा तब फिर से गिरफ्तारी की जाएगी. सुरेश मुखी का कहना है कि पुलिस ने थाने से रिहाई यूं ही नहीं की.
बच्चों की मां नीलू महानंद ने शिकायत में लिखा है कि उसके बेटे को अभियुक्त देबू मुखर्जी ने ही मारकर टांग दिया अथवा फांसी पर लटकने के लिए मजबूर किया. नीलू महानंद ने जो बातें लिखी हैं उसमें उसका दावा है कि घरेलू नौकर के रूप में उसे अभियुक्त अत्यधिक प्रताड़ित करता था और ठीक से भोजन भी नहीं देता था. उसने यह भी कहा है कि अभियुक्त ऊंची पहुंच वाला अमीर आदमी है जिसने उसे भी जान मारने की धमकी दी है.
अभियुक्त के बारे में पता चलता है कि एक समय उसके परिवार में बड़े-बड़े नेता, मंत्री, अफसर तक आते थे. अभियुक्त के ‘आहार-व्यवहारÓ से पूरा कदमा अवगत है, लेकिन पुलिस की नजर में वह संभ्रांत हो गया है.
यह भी उल्लेखनीय है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे से कोई काम कैसे करा सकता था. यहां चाइल्ड लाइन भी संदेह के घेरे में आ गया है. इस मामले में ऐसा दिख रहा है कि पुलिस न्याय दिलाने की अपनी भूमिका में शिकायती पक्ष से ज्यादा अभियुक्त की ओर झुक गई है. यह क्षेत्र कांग्रेस के मंत्री का है. हाल ही पुलिस ने कुछ बड़े घर के लोगों को जायज-नाजायज का मौका दिए बिना जेल ठूंस दिया लेकिन यहां बिगड़ैल घर की संतान के आगे दामन पर दाग ले रही है.

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